बीसलपुर बांध के पानी से भरा जाएगा आमेर का मावठा (तालाब)।

बीसलपुर बांध के पानी से भरा जाएगा आमेर का मावठा (तालाब)।
ताकि पर्यटक आकर्षित हो सकें। अजमेर के राजनेता कुछ तो शर्म महसूस करें। 

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30 अगस्त को राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जयपुर के निकट आमेर किले के मावठा (तालाब) को बीसलपुर बांध के पानी से भरने के निर्देश जारी किए हैं। यानि कोई सवा सौ किलोमीटर दूर बीसलपुर बांध से पाइप लाइन के जरिए पानी खींच कर मावठा में डाला जाएगा। वैैसे तो आमेर के किले में बनी झील प्राकृतिक है और पूर्व में बरसात के पानी से भर जाती थी, लेकिन लोगों ने बरसात के पानी आने के रास्तों पर अवैध कब्जा कर लिया, इसलिए बरसात में भी झील में पानी नहीं आया है। इससे आमेर आने वाले पर्यटक भी मायूस होते हैं। चूंकि आमेर में पर्यटन ही रोजगार का मुख्य साधन है, इसलिए आमेर के जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव बनाया और मावठा को बीसलपुर बांध के पानी से भरने का आदेश करवा लिया। चूंकि मावठा तक पाइप लाइन बिछी हुई है, इसलिए बीसलपुर का पानी आने में कोई परेशानी नहीं होगी। आमेर वाली पाइप लाइन को जयपुर शहर वाली लाइन से सिर्फ जोडऩा है। जब आमेर तक बीसलपुर का पानी आ ही जाएगा तो फिर घरों में भी सप्लाई हो जाएगी। यानि मावठा के बाद घरों में सप्लाई की मांग होगी। चूंकि आमेर के जनप्रतिनिधि जागरुक और एकजुट हैं, इसलिए सब संभव है। सरकार के फैसले के बाद आमेर में जश्र का माहौल है। 31 अगस्त को नागरिकों ने जनप्रतिनिधियों के साथ जश्न मनाया। मालूम हो कि इस बार बीसलपुर बांध में क्षमता के अनुरूप 315.50 मीटर पानी आ गया है। इन दिनों तो अतिरिक्त पानी को गेट खोलकर बांध से बाहर निकाला जा रहा है।
शर्म करें अजमेर के जनप्रतिनिधि : 
बीसलपुर बांध से ही अजमेर जिले में पेयजल की सप्लाई होती है। चूंकि जयपुर के मुकाबले में अजमेर के जनप्रतिनिधि राजनीतिक दृष्टि से कमजोर रहते हैं, इसलिए अजमेर को लेकर कोई योजना नहीं बनाई जाती। वर्ष 2016 में हिन्दुओं के तीर्थ पुष्कर के पवित्र सरोवर के कुंडों में बीसलपुर बांध के पानी को डालने की योजना बनाई थी, लेकिन श्रद्धालु कम से कम पूजा अर्चना तो कर सके, लेकिन यह योजना मुश्किल से एक माह में फेल हो गई। 2016 में पुष्कर मेले के दौरान तो पानी डाला गया, लेकिन इसके बाद आज तक भी सरोवर में बीसलपुर का पानी नहीं आया। यानि सरकार आमेर में पर्यटकों के लिए तो मावठा को भर सकती है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए पुष्कर सरोवर में पानी नहीं डाला जा सकता। जयपुर में अधिक से अधिक क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई की योजनाएं लगातार बन रही है। अब तो जयपुर के बाद दौसा में भी बीसलपुर का पानी पहुंच गया है, जबकि अजमेर शहरी क्षेत्रों में अभी भी दो दिन में एक बार सप्लाई की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों का तो और भी बुरा हाल है। 2014 से लेकर 2018 तक अजमेर से लेकर जयपुर और दिल्ली  तक भाजपा का एक छत्र राज था। जिले के 7 में से 4 भाजपा विधायक मंत्री स्तर की सुविधा भोग रहे थे। ओंकर सिंह लखावत, शिवशंकर हेड़ा जैसे भाजपा नेताओं का प्राधिकरण का अध्यक्ष होने के नाते राज्य मंत्री की सुविधा मिली हुई थीं, लेकिन इसके बावजूद भी पेयजल के विस्तार की कोई योजना नहीं बनी। जिले के सबसे बड़े उपखंड ब्यावर में भी पानी की त्राहि-त्राहि मची रही। असल में इन भाजपा नेताओं में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने अजमेर की मांग रख सके। कमोबेश अब यही स्थिति कांग्रेस के नेताओं की है। हालांकि केकड़ी के विधायक रघु शर्मा कांग्रेस सरकार में ताकतवर मंत्री हैं, लेकिन अजमेर जिले के विकास में शर्मा को रुचि कमजोर है। कांग्रेस के दूसरे विधायक राकेश पारीक सेवादल के प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते अपने निर्वाचन क्षेत्र मसूदा में ही ध्यान नहीं दे पाते हैं। किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक  सुरेश टाक सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन टाक उनकी सोच किशनगढ़ तक ही सीमित हैं। यूं तो भाजपा के पांच विधायक है, लेकिन अब ये विपक्ष में हैं। विधानसभा में चिल्लाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते हैं। विकास के मुद्दे पर अजमेर के कांग्रेस और भाजपा के विधायक सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि कभी भी एक नहीं  दिखें।
एस.पी.मित्तल) (31-08-19)
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