अशोक गहलोत और सचिन पायलट में एका हो तो राजस्थान में सत्ता और संगठन में भी तालमेल हो जाएगा। तालमेल को लेकर जयपुर में हुआ मंथन।
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19 सितम्बर को जयपुर स्थित राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे तथा राष्ट्रीय सचिवों ने भाग लिया। यह बैठक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के निर्देश पर हुई। पिछले दिनों गहलोत और पायलट ने अलग-अलग सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ही सोनिया गांधी ने राजस्थान में सत्ता और संगठन में तालमेल पर जोर दिया। बैठक के बाद सीएम गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष पायलट और प्रभारी महासचिव पांडे ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया। तीनों नेताओं ने एक बार फिर यह दिखाने की कोशिश की सत्ता और संगठन में कोई विवाद नहीं है। लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार बैठक में गहलोत और पायलट के समर्थकों ने अपने अपने नजरिए से बात को रखा। जहां पायलट के समर्थकों ने राजनीतिक नियुक्तियों का सवाल उठाया तो वहीं गहलोत के समर्थकों ने सरकार के अच्छे काम काज की बात की। दिसम्बर में होने वाले पंचायतीराज और उससे पहले 52 स्थानीय निकायों के चुनावों को लेकर भी बैठक में मंथन हुआ। अब सत्ता और संगठन तालमेल दिखाने के लिए यह निर्णय हुआ है कि प्रभारी मंत्री जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में बैठक कर जनसुनवाई करेंगे। इसी प्रकार पंचायतीराज के टिकट वितरण के लिए पर्यवेक्षकों को जिलों में नहीं भेजा जाएगा। इसकी एवज में प्रभारी मंत्री ही अपनी रिपोर्ट प्रदेशाध्यक्ष को देेंगे। 19 सितम्कर को भले ही दिखाने के लिए सत्ता और संगठन की संयुक्त हो बैठक हो गई हो, लेकिन सब जानते हैं कि जब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट में तालमेल नहीं होगा, तब तक ऐसी बैठकों के कोई मायने नहीं है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद गहलोत और पायलट के बीच की तल्खी सार्वजनिक हुई है। पायलट ने प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी प्रतिकूल टिप्पणियां की है। पायलट कई बार राजनीतिक नियुक्तियों का मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष उठा चुके हैं। वहीं गहलोत के समर्थक एक व्यक्ति एक पद की मांग कर चुके है। पायलट इस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के साथ-साथ सरकार में डिप्टी सीएम के पद पर भी नियुक्त है। पायलट के समर्थक चाहते हैं कि वे दोनों पदों पर बने रहे, जबकि गहलोत के समर्थक पायलट से एक पद खासकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का लेना चाहते हैं। अब यह देखना होगा कि दोनों पक्षों में पायलट के दोनों पदों को लेकर क्या सहमति बनी है। यदि अभी भी एक व्यक्ति एक पद की मांग होती रही तो फिर सत्ता और संगठन में तालमेल होना मुश्किल है। चूंकि पंचायतीराज के चुनाव प्रदेश भर में बहुत महत्वपूर्ण हैं, ऐसे में देखना होगा कि सत्ता और संगठन के बीच किस प्रकार तालमेल होता है। इसमें कोई दो राय नहीं की गत विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस संगठन को मजबूती मिली थी।
एस.पी.मित्तल) (19-09-19)
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