तो इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं सचिन पायलट।

तो इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं सचिन पायलट।
राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर तीखे तेवर दिखाए।
क्या मंत्री पद के बगैर बसपा विधायक कांग्रेस में बने रहेंगे?
राजनीतिक नियुक्तियों के लिए 15 अक्टूबर तक बनेगी सूची। 

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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। हालातों को समझे तो पायलट को अब दिल्ली दरबार की भी परवाह नहीं है। 19 सितम्बर को जयपुर में सता और संगठन में तालमेल को लेकर जो बैठक हुई, उसमें पायलट ने साफ कर दिया आज प्रदेश में कांग्रेस सरकार उन्हीं की मेहनत के बदौलत हैं। यानि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की जिस कुर्सी पर बैठे हैं, उस पर पहला हक उनका है। पायलट के तेवरों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब बैठक के बाद गहलोत पायलट और प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई तो पत्रकारों ने बसपा से आए विधायकों को मंत्री बनाने का सवाल पूछा तो पायलट ने पांडे से माइक लेकर कहा कि बसपा विधायक किसी पद पर लालच के बगैर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। पायलट ने यह भी कहा कि कांग्रेस के जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पांच साल खून पसीना बहाकर सरकार बनवाई, अब उन्हें पार्टी और सरकार में सम्मान मिलेगा। असल में सीएम गहलोत को पायलट के ऐसे तेवरों का पहले ही अंदाजा था, इसलिए अपनी सरकार को मजबूत करने के लिए बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया। 200 विधायकों में से अब कांग्रेस के 106 विधायक हो गए हैं और 12 निर्दलीय विधायक पहले ही गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। ऐसे में यदि कुछ विधायक इधर उधर होते हैं तो सरकार को खतरा नहीं होगा। गहलोत को भी पता है कि खतरा भाजपा से नहीं बल्कि कांग्रेस के अंदर से ही है। सवाल यह भी है कि सिर्फ विधायक रहने के लिए तो बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल नहीं हुए है 6 विधायक? राजनीति में दिखता कुछ है और होता कुछ अलग है। पायलट भले ही कुछ भी कहे, लेकिन बसपा विधायकों से तो मुख्यमंत्री गहलोत ने वायदा किया है। गहलोत अपना वायदा पूरा करेंगे ही। अब देखना होगा कि जब बसपा विधायकों को मंत्री और संसदीय सचिव बनाया जाएगा, तब पायलट की क्या प्रतिक्रिया होती है। पायलट पहले भी अपनी सरकार को कई मुद्दों पर कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। पायलट ने 19 सितम्बर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय महासचिव पांडे के हाथों से माइक लेकर अपनी बात कही, उससे जाहिर है कि अब पायलट आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। पायलट भी जानते हैं कि पांडे इस घटना की जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को देंगे। लेकिन अब शायद दिल्ली दरबार की परवाह भी नहीं है। बैठक में यह भी तय हुआ कि जिला कांग्रेस कमेटियों के दफ्तरों में प्रभारी मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। यानि जो झगड़ा प्रदेश स्तर पर था, वह अब जिला स्तर पर आ जाएगा। यह भी देखना होगा कि इन हालातों का मुकाबला सीएम गहलोत कैसे करते हैं?
15 अक्टूबर तक बनेगी सूची:
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांड ने बताया कि राजनीतिक नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके अंतर्गत प्रभारी मंत्री अपने जिलों में जाकर जिला अध्यक्ष, ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों और प्रमुख नेताओं से विचार विमर्श करेंगे। नियुक्त होने वाले नेताओं की सूची पहले जिला स्तर पर तैयार की जाएगी और फिर राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की मौजूदगी में विचार विमर्श होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने निर्धारित की है। सोनिया गांधी का प्रयास है कि पार्टी के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ताओं को लाभ मिले। इससे पहले पांडे ने 20 सितम्बर को जयपुर में कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर राजनीतिक नियुक्तियों के संबंध में विस्तृत विचार विमर्श किया।
एस.पी.मित्तल) (20-09-19)
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