इमरान खान इस सच्चाई को क्यों नहीं समझते कि जम्मू-कश्मीर के 80 प्रतिशत क्षेत्र में कोई पाबंदी नहीं है।

इमरान खान इस सच्चाई को क्यों नहीं समझते कि जम्मू-कश्मीर के 80 प्रतिशत क्षेत्र में कोई पाबंदी नहीं है। पाबंदी वाले 20 प्रतिशत क्षेत्र में हिन्दुओं को प्रताडि़त कर भगा दिया था। इस सच्चाई की वजह से ही एक भी मुस्लिम देश पाकिस्तान के साथ नहीं है।

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27 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) की महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर में ज्यादती कर रखी है। कफ्र्यू हटते ही जम्मू कश्मीर में खून खराबा हो जाएगा। पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने के लए तैयार बैठा है। इमरान खान यह बात तब से कह रहे है जब से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाया है। पिछले दो माह से न तो जम्मू कश्मीर में खून खराब हुआ है और न ही पाकिस्तान ने परमाणु हमला किया। अलबत्ता अमरीका से मध्यस्थता के लिए इमरान खान डोनाल्ड ट्रंप के सामने गिड़गिड़ाते नजर आए। असल में इमरान खान जम्मू कश्मीर की सच्चाई को नहीं समझ रहे हैं। जिस जम्मू कश्मीर का रोना रोया जा रहा है वह अनुच्छेद 370 के हटने के बाद बहुत बदल गया है। 80 प्रतिशत क्षेत्र में किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं है। यातायात से लेकर इंटरनेट तक चल रहा है। यहां मीडिया भी पूरी आजादी के साथ काम कर रहा है। असल में जम्मू और लद्दाख के इस 80 प्रतिशत क्षेत्र में मुसलमानों के साथ हिन्दू समुदाय भी अच्छी तरह रह रहा है। यह बात कांगे्रस के राज्यसभा में नेता गुलामनबी आजाद भी जानते हैं। राहुल गांधी ने भी कभी भी जम्मू और लद्दाख को असामान्य नहीं बताया। इमरान खान को यह सच्चाई समझनी चाहिए कि कश्मीर घाटी के मात्र पांच छह जिलों में थोड़ी पाबंदियां हैं। जो जम्मू कश्मीर राज्य का मात्र 20 प्रतिशत क्षेत्र हैं। यह क्षेत्र वो है जिसमें अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों की सरकार के समय चार लाख हिन्दुओं को प्रताडि़त कर भगा दिया गया था। चूंकि अब इस 20 प्रतिशत क्षेत्र में एक तरफा माहौल है, इसलिए कुछ लोग हिंसा करने को उतावले हैं। सरकार ने जम्मू कश्मीर के 80 प्रतिशत लोगों को बचाए रखने के लिए 20 प्रतिशत क्षेत्र में पाबंदियां लगाई है। इन पाबंदियों की वजह से ही 20 प्रतिशत क्षेत्र में भी सुरक्षा बलों को पिछले दो माह में एक बार भी गोली नहीं चलानी पड़ी। घाटी के पाबंदी वाले इलाकों में चिकित्सा आदि की सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। यहां तक कि लैंड लाइन भी चालू हैं। भारत ने यह सच्चाई पड़ौसी मुस्लिम देश बांग्लादेश से लेकर अमरीका तक को समझा दी है। यही वजह है कि बांग्लादेश भी कश्मीर मुद्दे पर भारत के पक्ष में है। यदि जम्मू कश्मीर के नागरिकों पर कोई अत्याचार होता तो सबसे पहले बांग्लादेश विरोध जताता। जब पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश भी नहीं है तो इमरान खान को यूएनओ की सभा में कश्मीर पर घडिय़ाली आसंू नहीं  बहाने चाहिए। इमरान खान यह अच्छी तरह समझ लें कि अब जम्मू कश्मीर प्रांत पर भारत का नियंत्रण हो गया है, इसलिए पाकिस्तान को आतंकी वारदात करने का कोई अवसर नहीं दिया जाएगा। अब यह देखना है कि पाकिस्तान में सैनिक शासन कब लागू होता है तथा इमरान खान पाकिस्तान से भाग कर कब इंग्लैंड में शरण लेते हैं।
एस.पी.मित्तल) (28-09-19)
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