कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के मुद्दे पर चीन भी भारत के साथ।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के मुद्दे पर चीन भी भारत के साथ।
पाकिस्तान चीन के उइगर मुसलमानों का मुद्दा क्यों नहीं उठता।

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9 अक्टूबर को चीन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का मामला भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। कश्मीर के किसी भी मामले को दोनों देशों को आपस में बैठकर सुलझाना चाहिए। चीन सरकार ने यह बात तब कही जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 8 अक्टूबर से चीन के दौरे पर हैं। चूंकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दस अक्टूबर से तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं इस लिए इमरान खान चाहते थे कि भारत की यात्रा से पहले शी जिनपिंग कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करें। लेकिन 9 अक्टूबर को चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ है। यानि अनुच्छेद 370 को हटाने को चीन भारत का आंतरिक मामला मानता है। पाकिस्तान को यदि कोई ऐतराज है तो उसे चीन के बजाए भारत से संवाद करना चाहिए। पांच अगस्त के बाद से ही पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार आरोप लगा रहे हैं कि जम्मू कश्मीर की जनता को अमानवीय कफ्र्यू में रखा गया है। भारत के सुरक्षा बल कश्मीरी नागरिकों पर जुल्म कर रहे हैं। यह बात अलग है कि इमरान खान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ऐसा एक भी सबूत नहीं दे सकें है, जिसके अंतर्गत कश्मीरियों पर अत्याचार हो रहा है। सब जानते हैं कि जम्मू कश्मीर के अस्सी प्रतिशत क्षेत्र में जनजीवन सामान्य है। सरकार ने जम्मू से लेकर लद्दाख तक कोई प्रतिबंध नहीं लगा रखा है। कश्मीर घाटी के पांच छह जिलों में धारा 144 के अंतर्गत कुछ पाबंदियां लगा रखी है। पाकिस्तान को उन कश्मीरियों की तो चिंता है जो सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते हैं, लेकिन चीन के शिंजियांग प्रांत के उइगर मुसलमानों के उत्पीडऩ की कोई चिंता नहीं है। चीन की सरकार उइगर मुसलमानों पर जो अत्याचार कर रही है उसके विरोध में ही अमरीका ने चीन की 28 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया है। हो सकता है कि यह अमरीका की राजनीति हो। लेकिन इतना जरूर है कि शिंजियांग प्रांत में रहने वाले मुसलमानों को अनेक अधिकारों से वंचित किया गया है। जबकि कश्मीर में किसी भी कश्मीरी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया गया है। उन्हेंअपने धर्म के अनुरूप रहने की पूर्ण आजादी है तथा पाबंदी दौरे भी सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। अस्पतालों में चौबीस घंटे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है और पांच अगस्त के बाद से सुरक्षा बलों को किसी भी आम कश्मीरी पर गोली चलाने की जरूरत नहीं हुई। जो दो तीन घटनाएं हुई हैं वह आतंकियों से जुड़ी हुई थी। ऐसे में पाकिस्तान को कश्मीरियों की चिंता करने की बजाए चीन के उइगर मुसलमानों की चिंता करनी चाहिए। अच्छा हो कि इमरान खान अपनी चीन यात्रा में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने उइगर मुसलमानों का मुद्दा उठाएं। इमरान  खान को कम से कम इतना दबाव डालना ही चाहिए कि उइगर मुसलमान अपने धर्म के अनुरूप चीन में आचरण कर सकें। जब इमरान खान को कश्मीरियों की चिंता है तो फिर चीन के उइगर मुसलमानों की चिंता क्यों नहीं हैं।
एस.पी.मित्तल) (09-10-19)
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