अजमेर के सरकारी कॉलेज के प्राचार्य मुन्नालाल अग्रवाल की प्रेरणादायक पहल। कबाड़ पड़े प्राचार्य निवास को उपयोगी बनाया।
===========
व्यक्ति की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो वह असंभव कार्य को भी संभव बना सकता है। ऐसा ही कुछ अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य मुन्नालाल अग्रवाल ने किया है। कॉलेज परिसर में ही प्राचार्य निवास भी है, लेकिन पिछले कई वर्षों से किसी भी प्राचार्य ने सरकारी निवास का उपयोग नहीं किया, इसलिए सरकारी आवास में कबाड़ भर दिया गया। कई बीघा वाले इस आवास में जंगली पेड़ पौधे भी लग गए। पिछले वर्षों में नियुक्त होने वाले प्राचार्यों ने कॉलेज का पुराना सामान इस आवास में भर दिया, लेकिन विगत दिनों अग्रवाल ने कॉलेज के प्राचार्य का पद संभाला तो सबसे पहले प्राचार्य निवास की सुध ली। जंगल पड़े इस आवास को उपयोग बनाया और अब स्वयं अपने परिवार के साथ इस आवास में रह रहे हैं। इसका फायदा विद्यार्थियों को भी मिला है। अब कोई भी विद्यार्थी और शिक्षक प्राचार्य से कभी भी सम्पर्क कर सकता है। अब विद्यार्थी और शिक्षकों को प्राचार्य के कॉलेज में आने का इंतजार नहीं रहता है। चूंकि कॉलेज परिसर में ही निवास है इसलिए कभी भी प्राचार्य से संवाद किया जा सकता है। प्राचार्य अग्रवाल की कार्यशैली को लेकर कुछ लेागों को एतराज हो सकता है लेकिन अब कॉलेज के शिक्षक और 15 हजार विद्यार्थी भी मानते हैं कि पिछले कुछ माह से प्रबंधन में सुधार आया है। जो प्राचार्य निवास जंगल बना हुआ था उस पर अब सब्जियों की खेती होने लगी है। अग्रवाल ने बताया कि कॉलेज परिसर में ही छात्राओं के लिए छात्रावास संचालित है। इसमें करीब 134 छात्राएं निवास कर रही है। इन सभी छात्राओं को दोनों समय की सब्जी बाजार से खरीदी नहीं पड़ती है। प्राचार्य निवास में जो सब्जी उगाई जा रही है उसे ही नि:शुल्क तौर पर छात्रावास के मैस में भिजवाया जाता है। उन्होंने कहा कि चूंकि सरकारी भूमि पर सब्जी उग रही है इसलिए पहला अधिकार विद्यार्थियों का है। इतना ही नहीं सब्जी पूरी तरह ऑर्गेनिक हैं। यानि छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को ताजा और शुद्ध सब्जियां उपलब्ध हो रही हैं। यह पहला अवसर है जब छात्रावास की मांग करने वाली हर छात्रा को सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। प्राचार्य ने बताया कि 134 छात्राओं के बाद 15 और छात्राओं ने छात्रावास में रहने के लिए आवेदन किया है। छात्रावास के कमरों की मरम्मत आदि करवा कर शीघ्र ही सभी छात्राओं को छात्रावास में प्रवेश दे दिया जाएगा। अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने सरकारी आवास में रहने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि विद्यार्थियों और शिक्षकों से सतत संवाद बना रहे। अजमेर के सरकारी कॉलेज का देशभर में महत्व रहा है। गर्वेमेंट कॉलेज के प्राचार्य का रुतबा किसी समय कलेक्टर से कम नहीं था। यही वजह है कि कॉलेज परिसर में बना प्राचार्य निवास आज भी कलेक्टर निवास से बड़ा है। अग्रवाल ने नियुक्ति के बाद खेल की गतिविधियां भी कॉलेज में बढ़ाई हैं। अब सभी प्रकार के स्पोट्र्स हो रहे हैं और भाग लेने वाले विद्यार्थियों को कॉलेज की ओर अल्पाहार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। अग्रवाल की इस प्रेरणादायक पहल के लिए मोबाइल नम्बर 9521261818 पर बधाई दी जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (09-10-19)
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)