प्रबंधन और कर्मचारियों की जिद की वजह से राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक की 700 शाखाओं में दस दिन से काम ठप।
प्रबंधन और कर्मचारियों की जिद की वजह से राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक की 700 शाखाओं में दस दिन से काम ठप। एसबीआई का सहयोगी है मरुधरा बैंक। ग्रामीण परेशान।
14 अक्टूबर को भी राजस्थान मरुधारा ग्रामीण बैंक की प्रदेश की सभी 700 शाखाओं में काम ठप रहा। गंगानगर शाखा के अधिकारी जीतेन्द्र सिंह के तबादले को लेकर जो आंदोलन शुरू हुआ था, वह अब पूरे प्रदेश में फैल गया है। गंगानगर में 5 अक्टूबर को बैंक के दो बड़े अधिकारियों को बंधक बना कर गाली गलौज करने का मामला तो अब गौण हो गया है। लेकिन अब बैंक प्रबंधन और कर्मचारियों की जिद की वजह से 700 शाखाओं का काम ठप पड़ा हुआ है। बैंक में हड़ताल का आह्वान बीएमएस से जुड़े संगठन एनओआरडब्ल्यू ने किया है। संगठन के सचिव राजेन्द्र शर्मा और मक्खन लाल ने बताया कि बैंक प्रबंधन का दबाव रहता है कि जो ग्रामीण लोन ले, उसका एसबीआई लाइफ और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस भी किया जाए। जबकि मात्र दो रुपए में होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा तथा 330 रुपए में होने वाले प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना में कोई रुचि नहीं दिखाई जाती है। चूंकि लोन प्राप्त करने वाले ग्रामीणों का एसबीआई लाइफ जबरन किया जाता है, इसलिए अगले वर्ष की किश्त जमा करवाने में उसकी रुचि नहीं होती। गरीब ग्रामीण की पहली किश्त की 15 हजार रुपए की राशि डूब जाती है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 10 लाख रुपए तक का लोन बिना गारंटी व सम्पत्ति रखे बगैर दिए जाने का प्रावधान हैं, लेकिन पचास हजार रुपए से अधिक के लोन के लिए सम्पत्ति गिरवी रखी जाना भी अनिवार्य है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजनाओं में भी लोन नहीं दिया जाता। संगठन का आरोप है कि एसबीआई से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी मरुधरा ग्रामीण बैंक को डूबोने का काम कर रहे हैं। बैंक के चेयरमैन ज्ञानेन्द्र जैन तो कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात भी नहीं करते हैं। संगठन ने चेयरमैन जैन के सख्त व्यवहार को लेकर भी नाराजगी जताई। संगठन के सचिव राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि यदि प्रशासन में द्वेषतापूर्ण कार्यवाही को बंद कर वार्ता के लिए बुलाता है तो तैयार हैं। कर्मचारियों को भी अपने बैंक और ग्रामीणों की चिंता है।
गैर कानूनी कृत्यों को छिपाने के लिए हड़ताल:
वहीं राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक के चेयरमैन ज्ञानेन्द्र जैन ने बताया कि 5 अक्टूबर को गंगानगर में कर्मचारियों ने बैंक जनरल मैनेजर श्रीराम मीणा और केएन द्विवेदी को बंधक बनाकर बदसलूकी की। बंधक बनाने के बाद उन्हीं के फोन से मुझे फोन किया और गाली गलौज की। यूनियन के अध्यक्ष कर्मजीत सिंह का कहना था कि बैंक प्रबंधन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हालात को देखते हुए मुझे पुलिस को फोन करना पड़ा। बंधक बनाए जाने और गाली गलौज करने के वीडियो भी उपलब्ध हैं। जैन ने बताया कि गंगानगर शाखा के अधिकारी जीतेन्द्र सिंह का तबादला विभागीय कारणों से जोधपुर स्थित मुख्यालय में किया था। कुछ कर्मचारियों ने इस तबादले को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया। एनओआरडब्ल्यू संगठन के प्रतिनिधि अब जो आरोप लगा रहे हैं वे सब अपने गैर कानूनी कृत्यों को छिपाने के लिए हैं। यदि एसबीआई लाइाफ और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के लिए दबाव डाला जा रहा था तो यह बात पहले क्यों नहीं बताई। बैंक प्रबंधन के साथ यूनियन की होने वाली किसी भी बैठक में यह मुद्दा नहीं उठाया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तो पांच प्रोजेक्ट पर बैंक ने लोन दिया है, इसलिए ग्रामीणों को लोन न देने की बात सरासर गलत है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में भी नियमों के तहत लोन दिए जा रहे हैं। चेयरमैन जैन ने कहा कि सभी कर्मचारी परिवार के सदस्य हैं। मेरी या बैंक प्रबंधन की किसी भी कर्मचारी के प्रति दुर्भावना नहीं है। मेरा कर्मचारियों से आग्रह है कि हड़ताल समाप्त कर बैंक का काम काज सूचारू करने में सहयोग करें। किसी भी कर्मचारी के प्रति दुर्भावना से कार्यवाही नहीं की जाएगी।
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