तो क्या वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन का अपने पति से ही मतभेद हैं?

तो क्या वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन का अपने पति से ही मतभेद हैं? जब आर्थिक मोर्चे पर पतिदेव ही संतुष्ट नहीं हैं तो फिर आम व्यक्ति की सोच का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

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नरेन्द्र मोदी की सरकार के तीन-चार ताकतवर मंत्रियों में से एक नाम वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन का भी है। सीतारमन न केवल ताकतवर मंत्री हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे की मंत्री भी हैं। पिछले कार्यकाल में सीताररमन को वाणिज्य मंत्रालय से हटा कर रक्षा मंत्री बनाया गया, ताकि हालातों में नियंत्रण पाया जा सके। मोदी के भरोसे पर सीतारमन खरी भी उतरीं। राफेल विमान सौदे के मुद्दे पर लोकसभा में सीतारमन ने सरकार का पक्ष प्रभावी तरीके से रखा। यही वजह रही कि दूसरे कार्यकाल में सीतारमन को वित्त मंत्री जैसा प्रभार दिया गया। अब भी सीतारमन पूरा प्रयास कर रही हैं कि आर्थिक मंदी के दौर में सरकार की छवि अच्छी बनी रहे। देश को मंदी के दौर से उबारने के लिए आए दिन नई नई घोषणाएं की जा रही है। लेकिन इन घोषणाओं से सीतारमन के पति और आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व सलाहकार डॉ. पराकला प्रभाकर ही संतुष्ट नहीं हैं। डॉ. प्रभाकर ने सरकार को आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह विफल बता दिया है। भले ही प्रभाकर ने अपनी पत्नी का नाम नहीं लिया है, लेकिन साफ कहा कि वित्तमंत्री ने जो कदम उठाए हैं, वे बेमानी हैं। प्रभाकर को लगता है आने वाले दिनों में देश के आर्थिक हालात और खराब होंगे। प्रभाकर की भाषा विपक्ष के नेता की तरह है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रभाकर का अपनी पत्नी निर्मला सीतारमन के साथ मतभेद चल रहा हैं? सरकार विरोधी बयन से पहले प्रभाकर की कोई पहचान नहीं थी और न ही कभी सीतारमन ने अपने पति को आगे लाने का प्रयास किया। लेकिन अपनी पत्नी की सरकार की नीतियों की आलोचना कर प्रभाकर रातों रात लाइम लाइट में आ गए हैं। सवाल यह भी क्या प्रभाकर अब विपक्षी दलों के इशारे पर लेख लिख रहे हैं? सीतारमन पहले ही आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही हैं, लेकिन अब उन्हें अपनी घरेलू परिस्थितियों से भी लडऩा पड़ेगा। यदि घर के हालात सामान्य होते हैं तो डॉ. प्रभाकर कभी सरकार विरोधी लेख नहीं लिखते। तो क्या अब प्रभाकर अपनी पत्नी को ही राजनीति नुकसान पहुंचा रहे हैं? विपक्ष को अब सरकार पर हमला करने का एक और अवसर मिल गया है। विपक्ष का बड़ा नेता जब आर्थिक मंदी पर बयान देता है तो वित्त मंत्री की हैसियत से सीतारमन करारा जवाब देती हैं। लेकिन अब देखना होगा कि सीतारमन अपने पति प्रभाकर किस तरह जवाब देती हैं। यदि डॉ. प्रभाकर सीतारमन के पति नहीं होते तो उनका बयान कोई मायने नहीं रखता था, लेकिन अब यह बयान देश की राजनीति और सीतारमन के घर में हलचल मचाएगा। सरकार माने या नहीं, लेकिन आम दुकानदार आर्थिक मंदी से बेहद परेशान हैं। इन लोगों ने किराए की दुकान लेकर व्यापार शुरू किया है वे दुकान का किराया भी नहीं निकाल पा रहे हैं। छोटे दुकानदारों के लिए सरकार को बड़ी योजना लानी चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (15-10-19)
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