कश्मीर घाटी में हिंसा होने के इंतजार में बैठे हैं देशद्रोही।
खामोशी और शांति पर भी उठा रहे हैं सवाल।
मीडिया का एक वर्ग भी शामिल।
भारत की एकता और अखंडता का पक्षधर हर व्यक्ति मानता है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर केन्द्र सरकार ने सराहनीय कार्य किया है। इस अनुच्छेद 370 की वजह से पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में आतंकी वारदातें करने का मौका मिल रहा था, लेकिन 5 अगस्त के बाद से कश्मीर घाटी में उपद्रवियों एवं सुरक्षा बलों के बीच कोई मुकाबला नहीं हुआ। जम्मू से लेकर लद्दाख तक में हालात सामान्य हैं। घाटी के कुछ जिलों में धारा 144 के अंतर्गत पाबंदियां लगा रखी हैं। इन पाबंदियों की वजह से पाकिस्तान समर्थित उपद्रवी कोई हिंसक वारदात नहीं कर पा रहे हैं। इससे घाटी में जो खामोशी और शांति बनी है, उस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। मीडिया का एक धड़ा मानता है कि यह खामोशी और शांति किसी बड़े हादसे का संकेत दे रही है। यानि ऐसी सोच वाले लोग घाटी में हिंसा के इंतजार में हैं। ऐसे लोगों को घाटी में खामोशी और शांति सहन नहीं हो रही है। क्या ऐसे लोग अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद कश्मीर में शांति के लिए सकारात्मक रुख नहीं अपना सकते? घाटी में अशांति तो पाकिस्तान भी चाहता है, इसीलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के मुसलमानों को उकसा रहे हैं। लेकिन भारत के मुसलमान समझदार हैं, उन्हें पता है कि जिस इज्जत के साथ भारत में रह रहे हैं, उतनी इज्जत किसी मुस्लिम राष्ट्र में भी नहीं मिलेगी। जो लोग कश्मीर घाटी में हिंसा के इंतजार में बैठे हैं वाकई देशद्रोही हैं। जब 370 हटना देशहित में हैं तो फिर ऐसे कलंक को क्यों बनाए रखना चाहते हैं? 370 का समर्थन करना, उन शहीद परिवारों का भी अपमान हैं, जिन्होंने कश्मीर को बचाए रखने के लिए अपनी जान दे दी। 370 के हिमायती और घाटी में हिंसा के इंतजार में बैठे देशद्रोही उन परिवारों में जाएं, जिन्होंने कश्मीर में अपना सदस्य खोया है। देखे तो सही उस मां, पत्नी, बहन की हालात क्या है? एक नहीं, हजारों ऐसे परिवार है, उन्होंने अपना एक सदस्य देश के लिए न्यौछावर किया है। अब जब 14 अक्टूबर को कश्मीर घाटी के दस जिलों में भी मोबाइल फोन सेवाएं शुरू कर दी है, तब तो देशद्रोहियों को सुरक्षा बलों के प्रयासों पर गर्व होना चाहिए। यह माना कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश विरोधी भी बयान देनी की आजादी है, लेकिन कम से कम देश को तोडऩे वाली कार्यवाही से तो बचना चाहिए। जिस अनुच्छेद की वजह से आजादी के बाद से देश में आतंकवाद पनप रहा था, उस अनुच्छेद 370 का हटाने का मातम नहीं जश्न मनाना चाहिए। घाटी में पाबंदियां भी कश्मीर के लोगों की हिफाजत के लिए है। यदि ऐसी पाबंदियां नहीं होंगी तो पाकिस्तानी आतंकी कश्मीरियों को मौत के घाट उतार देंगे।
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