पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बगैर खत्म हो गया उपचुनावों में भाजपा का प्रचार।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बगैर खत्म हो गया उपचुनावों में भाजपा का प्रचार।
प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के पास रही कमान।
19 नवम्बर के राजस्थान के खींवसर (नागौर) तथा मंडावा (झुंझुनूं) के उपचुनाव में प्रचार का दौर खत्म हो गया। 21 अक्टूबर को मतदान तथा 24 अक्टूबर को परिणाम आएंगे। दोनों ही उपचुनाव में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे दूर रहीं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रचार के दौरान कहा था कि मंडावा में प्रचार के लिए पूर्व सीएम से आग्रह किया गया है। लेकिन इसके बावजूद भी राजे ने मंडावा में भी भाजपा का प्रचार नहीं किया। यानि वसुंधरा राजे के बगैर ही दोनों उपचुनाव का प्रचार पूरा हो गया। दस माह पहले तक जिन वसुंधरा राजे के बगैर राजस्थान भाजपा में पत्ता तक नहीं हिलता था, उसी प्रदेश में अब राजे की स्थिति गौण हो गई है। पिछले दिनों सतीश पूनिया ने जब प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला था, तब भी राजे उपस्थित नहीं रही थीं। यानि अब राजस्थान में भाजपा ने वसुंधरा राजे के बगैर ही दौडऩा सीख लिया है। राजे प्रदेश की सीएम ही नहीं रहीं, बल्कि मौजूदा समय में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। प्रदेश के कई भाजपा नेताओं ने महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में प्रचार किया, लेकिन वसुंधरा राजे के प्रचार करने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। जबकि राजस्थान की राजनीति से जुड़े राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव तो महाराष्ट्र के चुनाव प्रभारी हैं। असल में भाजपा के अधिकांश नेता संगठन के कहे अनुसार चलते हैं, लेकिन वसुंधरा राजे जैसी नेता स्वयं को संगठन से ऊपर समझती है। यही वजह है कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व होने के बाद भी उपचुनाव तक में कोई भूमिका नहीं है। गत विधानसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा की हार का एक कारण वसुंधरा रजे भी रही हैं। चौतरफा विरोध के बाद भी भाजपा ने वसुंधारा राजे के नेतृत्व में चुनाव लडऩे का निर्णय लिया। नाराज जनता ने राजे और भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा को सभी 23 सीटों पर सफलता मिली। लोकसभा चुनाव में भी राजे की सक्रिय भूमिका नहीं थीं। राजे का ज्यादातर समय अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में ही व्यतीत होता। सीएम के पद पर रहते हुए राजे और उनके चमचों ने अत्याचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थ्ी। अब उन्हीं गलतियों का खामियाजा राजे को भुतगतना पड़ रहा है।
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