देश में आर्थिक मंदी की मार है या अनुच्छेद 370 हटाने का जोश। इसका पता महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनाव और अनेक राज्यों के उपचुनावों के परिणाम से चलेगा।
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21 अक्टूबर को महाराष्ट्र व हरियाणा के विधानसभा चुनाव तथा अनेक राज्यों में उपचुनाव के लिए मतदान होना है। परिणाम 24 अक्टूबर को आएंगे। इन चुनावों में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने आर्थिक मंदी को मुद्दा बनाया। कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने अपनी जन सभाओं में कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियों से देश में मंदी का दौर चल रहा है। छोटे दुकानदार को भी बड़ी परेशानी हो रही है। वहीं सत्तारूढ़ भाजपा के शीर्ष नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदी की बात को खारिज करते हुए अनुच्छेद 370 को हटाने का मुद्दा उठाया। मोदी ने अपनी हर जनसभा में कहा कि जिस टेम्परेरी अनुच्छेद को 70 सालों तक बनाए रखा गया, उसे हमने हटा दिया है। इससे जम्मू कश्मीर में लोगों को अपने अधिकार मिलेंगे तथा आतंकवाद समाप्त होगा। यानि दो राज्यों के आम चुनाव और अनेक राज्यों के उपचुनाव में आर्थिक मंदी और अनुच्छेद 370 का मुद्दा ही छाया रहा। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद देश के दो प्रमुख राज्यों में पहली बार चुनाव हो रहे हैं। 24 अक्टूबर को घोषित होने वाले परिणाम से पता चलेगा कि मतदाताओं पर किस मुद्दे ने असर डाला है। हालांकि आर्थिक मंदी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों का कांग्रेस ने चार माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में भी जोर शोर से उठाया था, लेकिन 545 में से कांग्रेस को मात्र 52 सीटें मिली, जबकि अकेले भाजपा को 303 सीटें मिल गई। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का प्रचार राष्ट्रवाद और देश की एकता अखंडता पर निर्भर रहा। यह माना कि आर्थिक मंदी की वजह से आम कारोबारी परेशान हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का जो बोल्ड फैसला मोदी सरकार ने लिया है उसका आम मतदाताओं पर गहरा असर है। देशवासियों को अब पहले अपने देश की एकता और अखंडता चाहिए। विपक्ष चाहे जितना भी शोर मचा ले, लेकिन नागरिक देश भक्ति को पहली प्राथमिकता दे रहा है। यही वजह है कि अनेक परेशानियोंके बावजूद भाजपा को राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मिल रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (20-10-19)
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