पश्चिम बंगाल में राज्यपाल के पद पर रहते हुए भी दु:खी और परेशान हैं जगदीप धनकड़।
भयावह स्थितियों से कर रहे हैं मुकाबला।
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अजमेर से लोकसभा का चुनाव लडऩे वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील जगदीप धनकड़ इन दिनों पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। धनकड़ ने गत 30 जुलाई को ही राज्यपाल पद की शपथ ली है। लेकिन शपथ लेने के बाद से ही धनकड़ का पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार से टकराव हो रहा है। टकराव के माहौल में ही 22 अक्टूबर को धनकड़ ने एबीपी न्यूज चैनल को कोलकाता में एक इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू में धनकड़ ने कहा कि वे राज्य सरकार के मंत्रियों एवं अधिकारियों के रवैये से बेहद दु:खी और परेशान हैं। वे पश्चिम बंगाल में लड़ाई झगड़ा करने नहीं आए हैं, बल्कि संवैधानिक दायरे में रहकर जनता की सेवा करने आए हैं। जनता की सेवा तभी हो सकती है, जब वे राजभावन से बाहर निकले। इसी उद्देश्य से उन्होंने हाल में सिलीगुडी का दौरा किया था, लेकिन सर्किट हाउस में सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए गए। यहां तक कि प्रोटोकॉल में जिला प्रशासन का कोई अफसर तक मिलने नहीं आया। मैंने जनप्रतिनिधियों की जो बैठक बुलाई उसमें पाइंट नोट करने वाला कोई अधिकारी भी नहीं था। टीएमसी के प्रतिनिधियों ने तो मेरी बैठक का बहिष्कार किया। राज्यपाल ने कहा कि भाजपा के एक सांसद के प्रकरण में एडीजी ने पहले ही दोषी करार दे दिया, जबकि जांच चल रही थी। जाहिर है कि प्रशासनिक मशीनरी दबाव में है। धनकड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि सरकार के मंत्री उन पर तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। उन्हें अभी भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राहत की उम्मीद हैं। ममता बनर्जी ने उनके बारे में अभी तक भी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। धनकड़ ने माना कि पश्चिम बंगाल में भयावह स्थिति और उन्हें ऐसी ही स्थितियों में काम करना पड़ रहा है। मैंने पश्चिम बंगाल की जनता की सेवा करने की शपथ ली है। मैं उस शपथ को पूरा करुंगा। मैं मूकदर्शक बन कर राजभावन में बैठा रहने वाला राज्यपाल नहीं हंू। मैं सुप्रीम कोर्ट में वकील रहा हंू। मुझे संविधान की जानकारी है। मैं संविधान के दायरे में ही रह कर अपने अधिकारों का उपयोग कर रहा हंू।
एस.पी.मित्तल) (22-10-19)
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