आगर्न ट्रांसप्लांट के फर्जीवाड़े में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह ने जयपुर के एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों को क्लीन चिट दी। पासपोर्ट विभाग के कार्मिक यदि फर्जी पासपोर्ट जारी कर दें तो अधिकारी का क्या दोष है?

जयपुर के फोर्टिस ईएचसीसी जैसे बड़े अस्पतालों में एसएमएस अस्पताल के फर्जी प्रमाण पत्रों से भले ही ऑगर्न ट्रांसप्लांट हुए हो, लेकिन बगैर किसी जांच के राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने आरोपी चिकित्सकों को क्लीन चिट दे दी है। खींवसर 2 मई को अपने शरीर के बैक पेन के प्राथमिक इलाज के लिए अस्पताल के चिकित्सकों की योग्यता की जमकर प्रशंसा की। खींवसर ने कहा कि जिस अस्पताल में डॉक्टर होशियार होते हैं मरीज भी उसी अस्पताल में आते हैं। मैं भी अपने बैक पेन के इलाज के लिए एसएमएस अस्पताल आया हंू। यह बात अलग है कि इससे पहले मैं कभी भी सरकारी अस्पताल में नहीं आया। खींवसर ने यह भी नहीं बताया कि आखिर अपने जीवन में वे सरकारी अस्पताल में अब तक क्यों नहीं आए? आखिर प्रदेश का चिकित्सा मंत्री होने पर ही उन्हें सरकारी अस्पताल के चिकित्सक होशियार क्यों लगने लगे हैं? क्या चिकित्सा मंत्री बनने से पहले खींवसर सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को योग्य नहीं मानते थे? राजघराने से ताल्लुक रखने वाले खींवसर किन चिकित्सकों को योग्य माने यह उनका अपना नजरिया है, लेकिन बैक पेन का इलाज कराने के बाद खींवसर ने बहुचर्चित ऑर्गन ट्रांसप्लांट के फर्जीवाड़े में एसएमएस अस्पताल के आरोपी चिकित्सक को क्लीन चिट दे दी। खींवसर ने कहा कि पासपोर्ट विभाग के कार्मिक यदि फर्जी पासपोर्ट जारी कर दे तो इसमें विभाग के अधिकारी का क्या दोष है? खींवसर ने अपना यह नजरिया बिना किसी जांच रिपोर्ट के आए दिया है। खींवसर के इस नजरिए से जाहिर है कि राज्य सरकार फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में एसएमएस अस्पताल के जिम्मेदार चिकित्सकों को दोषी नहीं मानती है। यही वजह है कि सरकार की ओर से अब तक कोई जांच कमेटी भी गठित नहीं की गई है। जबकि आए दिन खुलासा हो रहा है कि एसएमएस अस्पताल से जारी फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए हैं। एसएमएस अस्पताल के कार्मिकों की मिली भगत से एक  हजार से भी ज्यादा ऑर्गन ट्रांसप्लांट  हो गए, जबकि एसएमएस अस्पताल में ट्रांसप्लांट का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए बनी चिकित्सकों की कमेटी की बैठक पिछले तीन वर्ष से हुई ही नहीं। सवाल उठता है क्या इस कमेटी के किसी भी चिकित्सा को फोर्टिस और ईएचसीसी जैसे निजी अस्पतालों में हो रहे ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जानकारी हुई ही नहीं?

S.P.MITTAL BLOGGER (03-05-2024)
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