राजस्थान में सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की आपसी खींचतान के बाद भी मंडावा के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रीटा चौधरी की 33 हजार 517 मतों से जीती।

राजस्थान में सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की आपसी खींचतान के बाद भी मंडावा के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रीटा चौधरी की 33 हजार 517 मतों से जीती। नागौर के खींवसर में हनुमान बेनीवाल की रणनीति भाजपा के काम आई। 

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24 अक्टूबर को राजस्थान के मंडावा (झुंझुनूं) और खींवसर (नागौर) के विधानसभा उपचुनाव के परिणाम भी आ गए। मंडावा से कांग्रेस की उम्मीदवार रीटा चौधरी ने 33 हजार 517 वोटों से जीत दर्ज की जबकि खींवसर से नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के उम्मीदवार नारायण बेनीवाल ने 4 हजार 630 मतों से जीत दर्ज की है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और भाजपा विपक्ष की भूमिका निभा रही है। ऐसे में दोनों दलों के लिए यह उपचुनाव राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। मंडावा में शानदार जीत दर्ज की। जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच खुले तौर पर खींचतान चल रही है। पायलट अब भले ही मंडावा की जीत का श्रेय ले, लेकिन सब जानते हैं कि 19 अक्टूबर को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन ही पायलट ने झुंझुनूं में ही सरकार विरोधी बयान दिया था। मंडावा उपचुनाव में जब सरकार और संगठन में एकजुटता दिखने की जरूरत थी, तब पायलट ने निकाय चुनावों में सरकार के हाईब्रिड फैसले को गलत बताया। जबकि इससे पहले हुई आमसभा में सीएम गहलोत ने पायलट की ओर इशारा करते हुए मच से कहा था कि कांग्रेस के हम सब नेता एकजुट हैं। पिछले कई दिनों से पायलट अपनी ही सरकार के हाईब्रिड फैसले की लगातार आलोचना कर रहे हैं। लेकिन फिर भी मंडावा में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है। भाजपा के लिए बुरी बात यह है कि गत विधानसभा के चुनाव में मंडावा से नरेन्द्र सिंह खींचड़ चुनाव जीते थे, लेकिन खींचड़ के बाद में सांसद बन जाने के कारण मंडावा की सीट रिक्त हो गई। यानि भाजपा को अपने सांसद की सीट पर हार का सामना करना पड़ा है।  जहां तक नागौर की खींवसर सीट का सवाल है इसे आरएलपी के सांसद हनुमान बेनीवाल की रणनीति की जीत माना जाएगा। भाजपा और आरएलपी में गठबंधन है। चूंकि यह सीट हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने पर रिक्त हुई, इसलिए बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को ही उम्मीदवार बनाया। हालांकि कांग्रेस ने भी बेनीवाल के सामने जाट उम्मीदवार हरेन्द्र मिर्धा को उतारा लेकिन मिर्धा परिवार हनुमान बेनीवाल की अपनाई हुई रणनीति का मुकाबला नहीं कर सका। यह बात अलग है कि दस माह पहले बेनीवाल खींवसर से 18 हजार मतों से चुनाव जीते थे।
एस.पी.मित्तल) (24-10-19)
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