अनुच्छेद 370 के समर्थकों के चेहरे खिले। मोदी विरोधियों में भी जान आई। 

अनुच्छेद 370 के समर्थकों के चेहरे खिले। मोदी विरोधियों में भी जान आई। 

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24 अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के समर्थकों के चेहरे खिले, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोधियों में जान आ गई है। हरियाणा में जहां अबकी बार 75 के पार का नारा दिया गया, वहां भाजपा को मुश्किल से चालीस सीट मिल रही है। वहीं महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना का गठबंधन भी गत विधानसभा चुनाव की तरह प्रदर्शन नहीं कर सका है। जबकि गत बार तो दोनों ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। अकेले चुनाव लड़कर भी भाजपा ने 288 में से 122 सीटें जीती थी, जबकि इस बार भाजपा-शिवसेना से गठबंधन के बाद भी 100 सीट ही जीत पाई है। साठ सीटे जीत कर शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद पर दावा जता दिया है। पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा की बंपर जीत और फिर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोधी हताश और परेशान थे, लेकिन अब मोदी विरोधियों में भी जान आ गई है। जो लोग 370 का समर्थन कर रहे थे, उनके चेहरे भी खिल उठे हैं। दो राज्यों के चुनाव परिणाम से ऐसे विरोधियों को लगता है कि यदि विपक्ष एकजुट हो जाए तो मोदी और भाजपा को हराया जा सकता है। यह माना गया कि 370 को हटाने का सबसे ज्यादा असर हरियाणा में होगा, क्योंकि हरियाणा के युवा ही सबसे ज्यादा जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में शहीद हुए। लेकिन हरियाणा के परिणाम बताते हैं कि भाजपा को इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ। चार माह पहले लोकसभा के चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी और 90 विधानसभा क्षेत्रों से करीब 80 में भाजपा की बढ़त रही थी। लेकिन अब भाजपा को मुश्किल से चालीस सीट मिल रही हैं। ऐसे में जाहिर है कि लोकसभा चुनाव में जो माहौल था, वह विधानसभा में देखने को नहीं मिला है। यही वजह रही कि 24 अक्टूबर को कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद ने मोर्चा संभाल लिया। आजाद शुरू से ही अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के विरोध में रहे हैं। लेकिन देश भर में व्याप्त माहौल को देखते हुए आजाद चुप रहे। लेकिन 24 अक्टूबर को आजाद का उत्साह बता रहा था कि वे मौके की तलाश में थे। अब हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम ने आजाद को मौका उपलब्ध करवा दिया है। इसलिए मोदी सरकार पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। दोनों राज्यों के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। मोदी का भी मानना रहा कि इस मुद्दे की वजह से भाजपा की जीत आसान होगी, क्योंकि 370 की वजह से ही सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पनप रहा था, जिसका असर पूरे देश में हो रहा था। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद जम्मू और लद्दाख में जश्न का माहौल रहा, वहीं कश्मीर घाटी में कुछ जिलों को छोड़ कर स्थिति सामान्य रही। यानि 370 को निष्प्रभावी करने के बाद केन्द्र सरकार ने तेजी से हालातों पर नियंत्रण किया, लेकिन दो राज्यों के चुनाव परिणाम से प्रतीत होता है कि चुनाव के दौरान जातिगत मुद्दे भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
एस.पी.मित्तल) (24-10-19)
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