पार्किंग स्थल को ठेके पर देकर अपना बाजार ने दुकानें लगवाई।

पार्किंग स्थल को ठेके पर देकर अपना बाजार ने दुकानें लगवाई।
अजमेर में दीपावली के मौके पर उपभोक्ताओं का शोषणा।

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राज्य सरकार का सहकारिता विभाग अजमेर शहर के बचों बीच पड़ाव में अपना बाजार संचालित करता है। यह दावा किया जाता है कि अपना बाजार में सहकारिता के सिद्धांत बिना लाभ हानि के उत्पादों की बिक्री होती है। दीपावली के मौके पर अपना बाजार के अधिकारियों ने प्रचारित किया कि सस्ती मिठाई, पटाखे आदि सामग्री मिलेगी। शहरवासियों को उम्मीद थी कि अपना बाजार से दीपावली की मिठाई खरीदने से फायदा होगा। लेकिन अपना बाजार संस्था तो खुद मुनाफा कमाने में जुट गई। अपना बाजार परिसर में जो स्थान उपभोक्ताओं के वाहनों की पार्किंग के लिए था, उसे कुछ लोगों को किराए पर दे दिया गया। अब इसी स्थान पर फटाखे, मिठाई आदि की दुकानें लगाई गई है। यानि प्रचारित तो किया गया कि अपना बाजार के माध्यम से बिक्री होगी, लेकिन मौके पर पेशेवर लोग दीपावली के सामान की बिक्री कर रहे हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून के जानकार एडवोकेट एसपी गांधी ने बताया कि अखबारों में छपे विज्ञापन और खबरों को पढ़ कर ही वे अपना बाजार में फटाखे मिठाई आदि खरीदने पहुंचे, लेकिन ऐसे उत्पाद बाजार से भी महंगे थे। फटाखों की कीमत तो बाजार से दोगुनी वसूली जा रही थी। सहकारिता के नियमों के अनुसार फटाखों का बिल भी नहीं दिया गया। यानि जिन पेशेवरों ने पार्किंग स्थल ठेके पर लिया वो मनमानी राशि वसूल रहे हैं। काजू की कतली का मूल्य 670 रुपए प्रति किलो रखा गया है, जबकि इसी मूल्य पर बाजार में भी उपलब्ध है। अजमेर में आगरा गेट के निकट जयपुर हैंडब्लॉक के कपड़ों एवं परिधान का विक्रय करने वाले अमित गर्ग ने बताया कि अग्रवाल समाज के एक समूह ने बिना लाभ हानि के दीपावली के मौके पर काजू की कतली और मूंग दाल की बनवाई है। समाज के लोगों को मात्र 475 रुपए प्रतिकिलों के भाव काजू की कतली उपलब्ध करवाई जा रही है, इसी प्रकार मूंग दल की बर्फी मात्र 250 में बेची गई है। एडवोकेट गांधी का सवाल है कि जब अग्रवाल समाज 475 रुपए प्रतिकिलों में काजू की कतली उपलब्ध करवा सकता है तो फिर सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाला अपना बाजार क्यों नहीं? जाहिर है कि सहकारिता की आड़ में उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है। एडवोकेट गांधी ने प्रदेश के सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार नीरज के पवन से अजमेर के अपना बाजार के कामकाज की जांच की मांग की है। बाजार के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए, जिन्होंने पार्किंग स्थल को ठेके पर देकर दुकानें लगवा दी। अजमेर में सहकारिता के उद्देश्य को खुले आम पतीला लगाया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (26-10-19)
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