जो कभी कहते थे कि तिरंगे को कंधा देने वाला नहीं मिलेगा, आज उन्हें कश्मीर में रहने के लाले पड़े हैं।
जो कभी कहते थे कि तिरंगे को कंधा देने वाला नहीं मिलेगा, आज उन्हें कश्मीर में रहने के लाले पड़े हैं। मोदी सरकार की मेहरबानी से रह सकेंगे सरकारी बंगले में।
31 अक्टूबर को गिरीश चन्द्र मुर्मू ने जम्मू कश्मीर तथा राधाकृष्ण माथुर ने केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल की शपथ ले ली। केन्द्र शासित इन दोनों राज्यों में अब वो ही होगा जो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार चाहेगी। दोनों प्रदेशों की पुलिस सीधे केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह के अधीन होगी। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख की पुलिस को किसी राजनेता को खुश करने के लिए काम नहीं करना होगा। चूंकि अद्र्ध सैनिक बल भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन होते हैं, इसलिए अब कश्मीर में सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस के बीच बेहतर तालमेल होगा। पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती जब जम्मू कश्मीर में भाजपा के सहयोग से सरकार चला रही थीं, तब महबूबा ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ होगी तो कश्मीर में तिरंगे (राष्ट्रीय ध्वज) को कांधा देने वाला भी नहीं मिलेगा। यानि जम्मू कश्मीर देश से अलग हो जाएगा। महबूबा के इस कथन का पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी समर्थन किया। असल में अब्दुल्ला और मुफ्ती के खानदानों ने जम्मू कश्मीर के हालात ही ऐसे बना दिए थे कि अनुच्छेद 370 को हटाने की बात करने से भी डर लगता था, लेकिन अब 370 को निष्प्रभावी किए हुए 90 दिन हो रहे हैं और जम्मू कश्मीर में तिरंगा शान से लहर रहा है। जिन महबूबा और उमर ने तिरंगे को कांधा नहीं देने की बता कही थी, उन्हें अब कश्मीर में अपने रहने के लिए सरकारी बंगले के लाले पड़ गए हैं। इसे अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदानों की राजनीतिक दादागिरी ही कहा जाएगा कि दोनों ने पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से श्रीनगर और जम्मू में अलग-अलग बंगले हथिया लिए। अब जब 370 निष्प्रभावी हुई तो दोनों खानदानों को बंगले भी खाली करने पड़ रहे हैं। दोनों ने जम्मू वाले बंगले खाली करने पर सहमति दे दी है, जबकि श्रीनगर वाले बंगलों में दोनों केन्द्र की मोदी सरकार की मेहरबानी से रह रहे हैं। केन्द्र सरकार ने दोनों को फिलहाल श्रीनगर के बंगले में रहने की अनुमति दे दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार कोई भी राजनेता पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से सरकारी बंगले में नहीं रह सकता। ऐसे में केन्द्र को महबूबा और उमर से सरकारी बंगले खाली करवाने का पूरा अधिकार है। मालूम हो कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इन दोनों नेताओं को सरकारी आवासों पर ही नजरबंद कर रखा है।
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