तो अब किसी भी दिन आ सकता है अयोध्या विवाद पर फैसला।
तो अब किसी भी दिन आ सकता है अयोध्या विवाद पर फैसला।
सीजेआई ने यूपी के सीएस और डीजीपी के साथ मंत्रणा की।
8 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने यूपी के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को बुलाकर उच्च स्तरीय मंत्रणा की माना जा रहा है कि दोनों अधिकारियों से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर विचार विमर्श हुआ। सीजेआई गोगोई की इस पहल को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सब जानते हैं कि गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में 15 नवम्बर को गोगोई का अंतिम कार्य दिवस होगा। चूंकि जस्टिस गोगोई ने ही अयोध्या में रामजन्म भूमि विवाद की सुनवाई की है। इसलिए रिटायरमेंट से पहले फैसला देना है। फैसले के मद्देनजर ही यूपी सहित देश भर में कानून व्यवस्था को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को एडवाइजरी भी जारी की गई है। हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने देश में सद्भावना बनाए रखने की अपील की है। धर्मगुरुओं की अपीलों का असर भी हो रहा है। दोनों पक्ष चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ भी आए लेकिन देश में शांति बनी रहनी चाहिए। हालांकि उत्तर प्रदेश और अयोध्या में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लेकिन सरकार का मानना है कि कुछ असामाजिकतत्व फैसला आने पर माहौल को बिगाड़ सकते हैं। इस पूरे माहौल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और प्रमुख धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक ने महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलमानों के पक्ष में आ जाता है तो भी अयोध्या में विवादित भूमि भगवान राम के मंदिर के लिए हिन्दू पक्ष को दे देनी चाहिए। इससे करोड़ों हिन्दुओं का दिल जीता जा सकता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि अयोध्या में मंदिर निर्माण का मुद्दा हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यदि मुस्लिम पक्ष जीतने के बाद भी विवादित भूमि को हिन्दुओं को देता है तो सद्भावना की इससे बड़ी मिसाल नहीं हो सकती। जब देश में मौलाना कल्बे सादिक जैसी सोच वाले मुसलमान हैं, तो फिर अवाम को डरने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ भी आए लेकिन देश में अमन चैन बना रहेगा।
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