राजस्थान में अब ऑटो रिक्शा एवं हल्के मोटरयान वाहनों के फिटनेस सर्टीफिकेट का नवीनीकरण डीटीओ ऑफिस में भी हो सकेगा।
राजस्थान में अब ऑटो रिक्शा एवं हल्के मोटरयान वाहनों के फिटनेस सर्टीफिकेट का नवीनीकरण डीटीओ ऑफिस में भी हो सकेगा। केन्द्रीय मोटरयान अधिनियम की फिजा स्कीम में संशोधन।
8 नवम्बर को मैंने ब्लॉग संख्या 6196 में लिखा था कि निजी क्षेत्र में संचालित फिटनेस सर्टीफिकेट की एजेंसियों के संचालकों की वजह से कॉमर्शियल वाहनों मालिकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। संचालकों की मनमानी को रोकने के लिए ही प्रदेश के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की पहल पर रोडवेज की बसों के फिटनेस सर्टीफिकेट डीटीओ कार्यालय में बनाने का निर्णय लिया गया। मैंने इस ब्लॉग में यह सवाल उठाया था कि अब रोडवेज बसों के फिटनेस सर्टीफिकेट डीटीओ ऑफिस में बन सकते हैं तो फिर कॉमर्शियल वाहनों के फिटनेस सर्टीफिकेट डीटीओ ऑफिस में क्यों नहीं बन सकते? ब्लॉक को उच्च स्तर पर पढ़े जाने के बाद 9 नवम्बर को प्रदेश के परिवहन आयुक्त एवं शासन सचिव राजेश यादव ने नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि दस किलोमीटर की परिधि में निजी फिटनेस सेंटर नहीं होने पर ऑटो रिक्शा एवं हल्के मोटरयान वाहनों के फिटनेस का नवीनीकरण जिला परिवहन कार्यालय में किया जा सकता है। यादव ने इस आदेश को जारी करने के लिए केन्द्रीय मोटरयान नियम की फिजा स्कीम में भी संशोधन किया है। केन्द्र सरकार की इसी स्कीम के अंतर्गत कॉमर्शियल वाहनों के फिटनेस सर्टीफिकेट के लिए निजी स्तर पर एजेंसियों को काम दिया गया था। लेकिन इन एजेंसियों के संचालकों ने कई जिलों में अपने सेंटर स्थापित नहीं किए और एक जिले में एक स्थान पर सेंटर होने से ऑटो रिक्शा जैसे वाहनों के मालिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब राज्य सरकार ने फिजा स्कीम में संशोधन करते हुए हल्के मोटरयान वाहनों के फिटनेस सर्टीफिकेट डीटीओ ऑफिस से जारी करने का निर्णय लिया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राजस्थान यूथ बोर्ड के पूर्व सदस्य और भाजपा के युवा नेता देवेन्द्र सिंह शेखावत ने भी निजी एजेंसियों को संचालकों की मनमानी का विरोध किया था। शेखावत ने मांग की थी कि जिस प्रकार परिवहन मंत्री रोडवेज बसों के फिटनेस सर्टीफिकेट डीटीओ ऑफिस से जारी करने का निर्णय लिया है उसी प्रकार कॉमर्शियल वाहनों के बारे में भी निर्णय लिया जाए। शेखावत ने कहा है कि सरकार का ताजा फैसला जनहित में है। अब कॉमर्शियल वाहनों के मालिकों को भी निजी एजेंसियों के शोषण से मुक्ति मिलेगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा गरीब ऑटो चालकों और हल्के मोटरयान वाहनों के मालिकों को मिलेगा।
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