तो क्या कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी सरकार बनाने के दावे को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी स्वीकार कर लेंगे?
तो क्या कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी सरकार बनाने के दावे को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी स्वीकार कर लेंगे? राजनीति और क्रिकेट में कभी भी कुछ भी हो सकता है-गडकरी।
मीडिया में कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) में सहमति हो गई है और अगले कुछ ही दिनों में राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि जब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग चुका है, तब क्या राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी तीन दलों की सरकार बनाने के दावे को स्वीकार कर लेंगे? जानकारों की माने तो 9 नवम्बर तक राज्यपाल सरकार बनाने के दावे को स्वीकार करने के लिए बाध्य थे, लेकिन गत विधानसभा के कार्यकाल के अंतिम दिन तक जब किसी दल ने सरकार बनाने का दवा पेश नहीं किया तो राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्यपाल की बाध्यता समाप्त हो गई है। अब राज्यपाल अपने विशेषाधिकार के तहत विवेक का इस्तेमाल करेंगे। कोई दल सरकार बनाने का कितना ही दावा करे, लेकिन अब राज्यपाल पहले यह देखेंगे कि प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनाने का माहौल है या नहीं? चूंकि राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल के हाथों में ही सत्ता होतीे है, इसलिए जल्द ही राज्यपाल प्रदेश के दौरे पर निकल जाएंगे। राज्यपाल मुम्बई के राजभवन कब लौटेंगे, इसका पता भगत सिंह कोश्यारी को भी नहीं होगा। सोनिया गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे सरकार बनाने के लिए कितना भी मंथन कर लें, लेकिन जब राज्यपाल का विवेक जागेगा, तभी सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। जो दावा पेश किया जाएगा, उसकी पहले जांच पड़ताल भी होगी। जांच पड़ताल कैसे होती है यह राज्यपाल पर निर्भर करेगा। राज्यपाल को यह देखना होगा कि विभिन्न विचारधारा के विधायक क्या स्थायी सरकार चला सकते हैं? कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी में तालमेल नहीं होने की वजह से ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। यानि सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लेना अब राज्यपाल पर निर्भर है। तीनों दलों के दावा प्रस्तुत कर देने से सरकार नहीं बनेगी।
कट्टर हिन्दुत्व की छवि बदलेगी शिवसेना:
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अब शिवसेना को अपनी कट्टर हिन्दुत्व की छवि बदलनी होगी। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सीना ठोक कर कहा था कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने का काम शिव सैनिकों ने किया था। अब अयोध्या में भगवान राम का मंदिर भी शिव सैनिक ही बनाएंगे। मुम्बई के लोगों को याद होगा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने के विरोध में शिवसैनिकों ने मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम की पिच को कई बार उधेड़ दिया था। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अब शिवसेना की ऐसी हरकतें सहन नही ंहोगी। यदि शिवसेना को कांग्रेस का समर्थन लेना है तो कट्टर हिन्दुत्व की छवि को बदलना होगा।
गडकरी का बयान:
15 नवम्बर को ही महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज नेता और केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का बयान भी सामने आया है। गडकरी का कहना है कि राजनीति और क्रिकेट में किसी भी समय कुछ भी हो सकता है। जिस टीम को हारा हुआ माना जा रहा है अगले ही क्षण जीत दर्ज करवा सकती है। गडकरी का यह बयान राजनीतिक दृष्टि से अपने आप महत्वपूर्ण है। वहीं एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कहा है कि शिवसेना को समर्थन देने में कांग्रेस अभी भी झिझक रही है।
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