गुर्जर समाज अब कांग्रेस के मंत्रियों एवं विधायकों पर दबाव बनाएगा।
गुर्जर समाज अब कांग्रेस के मंत्रियों एवं विधायकों पर दबाव बनाएगा।
सचिन पायलट की वजह से भाजपा का एक भी गुर्जर विधायक नहीं।
गुर्जरों के एमबीसी में मुस्लिम मिरासी समाज की जातियों को शामिल करने का मामला। राजस्थान भर में आंदोलन भी शुरू।
16 नवम्बर को राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के जयपुर स्थित आवास पर प्रदेश के गुर्जर समाज के प्रमुख प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। इस आपात बैठक में मुस्लिम मिरासी समाज की जातियों को गुर्जर समाज के एमबीसी में शामिल करने के सरकार के प्रयासों पर विचार हुआ। बैठक में बताया गया कि राज्य की कांग्रेस सरकार के निर्देश पर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा मुस्लिम मिरासी समाज से जुड़ी जातियों का सामाजिक, शैक्षिक, व्यवसायिक और आर्थिक सर्वे करवाया जा रहा है, ताकि इन जातियों की भी अति पिछड़ा मानते हुए एमबीसी में शामिल किया जा सके। बैठक में कर्नल बैंसला का कहना रहा कि गुर्जर समुदाय ने लम्बा संघर्ष कर पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण हासिल किया है। ऐसे में हमारे आरक्षण से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार को अन्य जातियों को आरक्षण देना है तो अन्य पिछड़ा वर्ग में से दिया जाए। गुर्जर समुदाय तो अपने हक के लिए आंदोलन करेगा ही, लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार में गुर्जर समुदाय के जो मंत्री और विधायक बैठे हैं, उनका भी नैतिक दायित्व बनता है। जब ऐसे विधायक गुर्जर वोटों पर जीतते हैं तो उन्हें भी अपने समाज की चिंता करनी चाहिए। गुर्जर समुदाय अब ऐसे मंत्रियोंएवं विधायकों पर दबाव बनाएगा। इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है। संघर्ष समिति के प्रमुख सदस्य और कर्नल बैंसला के पुत्र विजय बैंसला ने कहा कि एमबीसी के आरक्षण में छेड़छाड़ के प्रयासों से प्रदेशभर के गुर्जर समुदाय में रोष व्याप्त है। जगह जगह टायर जला कर विरोध जताया जा रहा है। आंदोलन से हालात बिगड़े, इससे पहले ही सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
डिप्टी सीएम पायलट स्वयं गुर्जर समुदाय से है:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट स्वयं गुर्जर समुदाय से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त खेल मंत्री, अशोक चांदना भी गुर्जर जाति के हैं। दो मंत्रियों के साथ बानसूर विधायक शकुंतला रावत, विराट नगर के इन्द्रराज गुर्जर, नदबई के जोगेन्द्र अबाना, खेतड़ी के डॉ. जीतेन्द्र सिंह, बांदीकुई के जीआर खटाणा तथा बेगू के विधायक राजेन्द्र सिंह विधूड़ी भी सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक हैं। सरकार के किसी भी गुर्जर मंत्री अथवा विधायक ने अभी तक भी अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा करवाए जा रहे सर्वे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार के प्रयासोंपर इन गुर्जर जनप्रतिनिधियों की सहमति है। अपने हक के लिए आम गुर्जर तो सड़कों पर है, लेकिन मंत्री और विधायक सत्ता का सुख भोग रहे हैं। ऐसे मंत्री और विधायक हमेशा गुर्जर बहुल्य विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतते हैं। चुनाव में तो अपनी जाति की दुहाई दी जाती है, लेकिन जीतने के बाद अपनी जाति का ख्याल नहीं रखते हैं। गत विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने 9 उम्मीदवार गुर्जर जाति के उतारे थे, लेकिन एक भी नहीं जीत सका। माना जाता है कि तब सचिन पायलट के सीएम बनने के भरोसे में गुर्जर मतदाता कांग्रेस के साथ लामबंद था। पायलट ने सीएम बनने में कोई कसर नहीं रह जाए, इसलिए भाजपा के एक भी गुर्जर उम्मीदवार को जीतने नहीं दिया। लेकिन अब पायलट सहित सभी गुर्जर विधायक चुप है। राज्य की कांग्रेस सरकार पिछले कई दिनों से तहसील पर मुस्लिम मिरासी समाज की पिछड़ी जातियों की एमबीसी के पांच प्रतिशत आरक्षण में शामिल करने के लिए सर्वे करवा रही है, लेकिन सरकार में बैठे गुर्जर समुदाय के मंत्री और विधायक चुप है।
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