49 निकाय चुनाव के परिणाम राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को और मजबूत करेंगे।

49 निकाय चुनाव के परिणाम राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को और मजबूत करेंगे।
भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को मिली सफलता।
कुल 2105 वार्डो में से 961 में कांग्रेस, 737 में भाजपा, 386 में निर्दलीय व 16 में बीएसपी की जीत

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19 नवम्बर को राजस्थान के 49 शहरी निकायों के परिणाम घोषित हुए। हालांकि तीनों नगर निगमों में सत्तारूढ़ कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन 18 नगर परिषद और 28 नगर पालिका में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा। जिस कांग्रेस को लोकसभा की सभी 25 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा उसी कांग्रेस ने मात्र पांच माह बाद शहरी निकायों में भाजपा को पीछे छोड़ दिया। असल में इसका श्रेय कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जाता है। गहलोत ने निकाय प्रमुख का चुनाव पार्षदों से करवाने का जो निर्णय लिया है वह सही साबित हुआ। कई निकायों में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला है, लेकिन प्रदेश में सरकार होने का लाभ उठाकर कांग्रेस का बोर्ड बनाया जा रहा है।
नगर निकाय के परिणाम के बाद निकाय प्रमुख का चुनाव 7 दिन बाद होगा, ऐसे मेंजोड़ तोड़ का पूरा अवसर मिलेगा। गहलोत ने निकाय चुनाव की व्यवस्था बदलाव करने के साथ साथ सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के युवाओं को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में जो सरलीकरण किया, उसका लाभ भी कांग्रेस को मिला है। निकाय चुनव  के परिणामों से गहलोत यह प्रदर्शित कर सकें हैं कि उनकी सरकार से प्रदेश में कोई नाराजगी नहीं है। परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने कहा कि मुझे ऐसे ही परिणामों की उम्मीद थी। यानि इन परिणामों से गहलोत गदगद हैं। सब जानते हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और गहलोत के बीच राजनीतिक खींचतान है। ऐसे निकाय चुनाव के परिणाम गहलोत की स्थिति को मजबूत करेंगे। गहलोत सरकार के काम काज को लेकर लगातार आलोचना हो रही थी, लेकिन अब निकाय चुनाव सरकार के लिए मददगार साबित होंगे। निकाय चुनाव परिणाम पर अब भाजपा को भी मंथन करना चाहिए। यह माना कि निकाय चुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा मिलता है, लेकिन सवाल यह भी है कि जब लोकसभा चुनाव में एक तरफा जीत मिली तो फिर निकाय चुनाव में कांग्रेस से पीछे क्यों रहना पड़ा? क्या भाजपा के नेताओं में एकजुटता नहीं थी? जब भाजपा को संगठन आधारित पार्टी कहा जाता है तो फिर निकाय चुनाव में ऐसा संगठन कहां चला गया।  निकाय चुनाव के परिणाम जहां कांग्रेस को उत्साहित करने वाले हैं वहीं भाजपा के लिए आत्ममंथन का समय है। जनवरी में ही पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा को अपनी स्थिति में सुधार करना पड़ेगा।
एस.पी.मित्तल) (19-11-19)
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