महाराष्ट्र में पहले विधानसभा का अध्यक्ष चुना जाएगा और फिर फडऩवीस की सरकार बहुमत साबित करेगी।

महाराष्ट्र में पहले विधानसभा का अध्यक्ष चुना जाएगा और फिर फडऩवीस की सरकार बहुमत साबित करेगी। सुप्रीम कोर्ट में 26 नवम्बर को लगातार तीसरे दिन भी सुनवाई होगी। 

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25 नवम्बर को भी सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर कोई फैसला नहीं दिया। हालांकि एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी चाहते थे कि कोर्ट आज भी बहुमत साबित करने का आदेश महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडऩवीस सरकार को दें। कोर्ट के सामने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भाजपा और एनसीपी के वे पत्र भी रख दिए, जिसके आधार पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवम्बर को देवेन्द्र फडऩवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। तुषार मेहता का कोर्ट से कहना रहा कि हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लिया जाए, क्योंकि इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों जस्टिस एनवी रमन्ना, अशोक भूषण और संजीव खन्ना ने बगैर कोई टिप्पणी किए सुनवाई को 26 नवम्बर तक के लिए टाल दिया। यानि अब 26 नवम्बर को प्रात: साढ़े दस बजे फिर सुनवाई होगी। 24 नवम्बर की सुनवाई के बाद अधिकांश न्यूज चैनलों व अखबरों ने कहा कि 25 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला  आएगा, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए थे। 25 नवम्बर की सुनवाई में भी तीनों न्यायाधीशों ने यह नहीं कहा कि 26 नवम्बर को कोई फैसला देंगे। असल में कोर्ट को भी पता है कि फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। ऐसे विस्तृत अध्ययन के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा। राज्यपाल ने फडऩवीस सरकार को बहुमत साबित करने का समय 30 नवम्बर तक दे रखा है। यानि 26 नवम्बर के तीन दिन बाद वैसे ही फडऩवीस को बहुमत साबित करना है। 288 विधायकों के एक-एक कर शपथ लेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में तीन दिन तो लग ही जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले बहुमत साबित करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती है। असल में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में बहुमत का फैसला हो जाएगा। यदि देवेन्द्र फडऩवीस अजीत पवार के एनसीपी के विधायकों के समर्थन से अपना अध्यक्ष चुनावों में सफल रहे तो फिर भाजपा सरकार का बहुमत भी साबित हो जाएगा। असल में अब विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव ही अहम हो गया है। शिवसेना और कांग्रेस चाहती है कि प्रोटेम स्पीकर ही बहुमत की प्रक्रिया पूरी कर ले। जबकि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। प्रोटेम स्पीकर सिर्फ सदस्यों को शपथ दिलवाता है। शपथ के बाद सदस्यों को विधायक के अधिकार मिलते हैं, इसलिए शपथ के बाद ही विधायक विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। बाद में निर्वाचित विभानसभा अध्यक्ष ही सदन की कार्यवाही विधिवत चलाते हैं और इसी में सरकार के बहुमत प्रदर्शन की भी प्रक्रिया होती है। चूंकि महाराष्ट्र में अभी संविधान प्रक्रिया होगी है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट परिस्थितियों का व्यापक अध्ययन कर रहा है। कांग्रेस का तर्क है कि फडऩवीस सरकार को बहुमत साबित करने के आदेश सुप्रीम कोर्ट दे दे, जबकि महाराष्ट्र में अभी विधायकों की शपथ भी नहीं हुई है।
एस.पी.मित्तल) (25-11-19)
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