अफगानिस्तान से अमरीका के सैनिकों की वापसी से भारत को खतरा।

अफगानिस्तान से अमरीका के सैनिकों की वापसी से भारत को खतरा।
राष्ट्रपति ट्रंप के लौटते ही तालिबान का आतंकी हमला, 9 सैनिक मरे। 

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30 नवम्बर की रात को तालिबान ने अफगानिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसमें 9 सैनिकों की मौत हो गई। 30 नवम्बर को अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने सबसे सुरक्षित विमान एयरफोर्स वन के जरिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे थे। सूत्रों की माने तो ट्रंप अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान  के नेताओं से मिलने आए थे। अभी यह तो पता नहीं चला कि ट्रंप की किन आतंकियों से मुलाकात हुई, लेकिन ट्रंप अब अफगानिस्तान  से अमरीका के सैनिक की पूर्णवापसी चाहते हैं। ताकि अपने देश में राष्ट्रपति का चुनाव फिर से जीता जा सके। अफगानिस्तान के मुसलमानों के आतंकियों से बचाने के लिए ही तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमरीका की सेना अफगानिस्तान में भेजी थी। भले अमरीकी सैनिकों ने तालिबान के लड़ाकों को खदेड़ा हो, लेकिन अमरीका के अनेक सैनिकों को जान गवानी पड़ी। एक सैनिक की मौत का पूरे अमरीका पर असर पड़ता है। यही वजह रही कि गत चुनावों में ट्रंप ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी का वायदा किया। अपने वायदे के अनुरूप ट्रंप ने बड़ी संख्या में सैनिकों की वापसी भी करवाई। लेकिन अभी 12 हजार अमरीकी सैनिक अफगानिस्तान में है। ट्रंप चाहते हैं कि अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमरीकी सैनिकों की पूर्ण वापसी हो जाए। ऐसा तभी संभव है जब अमरीका का तालिबान से तालमेल बैठे। अमरीका चाहता है कि सैनिक की पूर्णवापसी के कुछ माह बाद तक अफगानिस्तान में शांति रहे, ताकि दुनिया को दिखाया जा सके कि जिस मकसद से अमरीका के सैनिक अफगानिस्तान में गए थे, वह पूरा हो गया है। यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप स्वयं अफगानिस्तान पहुंच कर तालिबान से वार्ता कर रहे हैं।
भारत को खतरा:
अमरीकी सैनिकों की वापसी का मतलब है अफगानिस्तान पर फिर से तालिबान का कब्जा। अमरीका ने भले ही अफगानिस्तान की सेना को कितना भी प्रशिक्षित कर दिया हो, लेकिन अफगानिस्तान की सेना तालिबान के लड़ाकों का मुकाबला नहीं कर सकती है। अफगानिस्तान की पहाडिय़ों में छिपे आतंकी जब सैन्य ठिकानों पर हमला करते हैं तो अफगानिस्तान की सेना बेबस नजर आती है। अफगानिस्तान में तालिबान के मजबूत होने का मतलब है भारत को खतरा। पहले भी तालिबान समर्थक भारत में सक्रिय रहे हैं। यदि आतंकी संगठन तालिबान अफगानिस्तान को फिर से अपने कब्जे में करता है तो भारत में आतंकी वारदात बढ़ सकती है। हालांकि भारत की सेना तालिबान के लड़ाकों को जवाब देने में समक्ष हैं। लेकिन भारत की आतंरिक स्थिति की वजह से तालिबान को आतंकी वारदातें करने में सफलता मिल जाती है। कई बार हमारे सुरक्षा बल तालिबान के स्लीपर सेलों को पकड़ते हैं। डोनाल्ड ट्रंप भले ही अपनी जान छुड़ा रहे हों, लेकिन अफगानिस्तान से अरमीकी सैनिकों की पूर्ण वापसी भारत को नुकसान पहुंचाएगी। देखना होगा कि अफगानिस्तान के तेजी से बदलते हालात में भारत क्या रणनीति अपनाता है। भारत की सीमाएं अफगानिस्तान से भी जुड़ी हैं और माना जाता है कि पाकिस्तान की सीमाओं से गुजर तालिबान के आतंकी भारत में प्रवेश करते हैं।
एस.पी.मित्तल) (01-12-19)
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