100 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं से लूट पर सरकार मौन क्यों?
100 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं से लूट पर सरकार मौन क्यों?
दरें बढ़ाते ही मोबाइल कंपनियों के शेयरों में उछाल।
करोड़ों रुपए के विज्ञापन लेने वाला मीडिया भी चुप।
2 दिसम्बर को सुबह जैसे ही शेयर बाजार खुला, वैसे ही वोडाफोन, आइडिया, भारती एयरटेल और जिओ मोबाइल कंपनियों के शेयरों में भारी उछाल आ गया। ये तीनों कंपनियां कल तक 7 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का रोना हो रही थीं, लेकिन 2 दिसम्बर को इन कंपनियों के मालिकों के चेहरे खुशी से खिल उठे। ऐसा नहीं कि इन कपंनियों में और विदेशी निवेश हो गया हो। सब जानते हैं कि 100 करोड़ प्रीपेड उपभोक्ताओं वाली इन तीनों कंपनियों ने अपनी दरों में 50 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। चूंकि अब इन कंपनियों को भारी मुनाफा होगा, इसलिए शेयरों के दाम बढ़ गए हैं। सवाल उठता है कि 100 करोड़ उपभोक्ताओं से लूट पर सरकार क्यों मौन है? पिछले दिनों खबर आई थी कि इन कंपनियों पर सरकार का सात लाख करोड़ रुपए बकाया है। कंपनियों के मालिकों ने सरकार से साफ कहा है कि हम घाटे में चल रहे हैं, इसलिए सरकार का बकाया नहीं चुका सकते। इसके बाद मीडिया में ऐसा माहौल बनाया गया जिससे लगा कि भारत में मोबाइल पर कॉलिंग और इंटरनेट का मूल्य बहुत कम है। प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनियों ने दरों को कम कर रखा है। ऐसे माहौल के बीच ही सबसे पहले मुकेश अंबानी के मालिकाना हक वाली जिओ ने अपनी दरें बढ़ाने की घोषणा की। इसके बाद वोडाफोन और भारती एयरटेल ने भी दरें बढ़ा दी। टेलीकॉम कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब ये तीनों कंपनियां अपने उपभोक्ताओं से प्रतिदिन पचास पैसे से लेकर दो रुपए तक अधिक वसूलेगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये तीनों कंपनियां अब कितना कमाएंगी। सरकार ने मूल्य नियंत्रण और समस्याओं के समाधान के लिए दूर संचार नियामक आयोग (ट्राई) बना रखा है। सवाल उठता है कि क्या इन तीनों कंपनियों ने मूल्य वृद्धि से पहले ट्राई के साथ विचार विमर्श किया? यदि किया तो ट्राई के अधिकारियों ने 50 प्रतिशत वृद्धि की अनुमति क्यों दी? क्या अब सरकार का नियंत्रण इन कंपनियों पर नहीं है? एक ओर सरकार बैंकिंग से लेकर पानी बिजली तक के बिल इंटरनेट से ऑन लाइन जमा करवा रही है तो दूसरी और नेट डेटा का मूल्य बढ़ा दिया गया है। सरकार माने या नहीं मोबाइल की दरें बढऩे से आम लोगों में नाराजगी बढ़ेगी। देश में पहले ही आर्थिक मंदी का शोर है और अब मोबाइल फोन की दरें बढ़ जाने से आम व्यक्ति और त्रस्त होगा। केन्द्र सरकार को इस मामले में तुरंत दखल देना चाहिए। यदि सरकार दखल नहीं देती है तो यह माना जाएगा कि इन तीनों कंपनियों और सरकार से मिली भगत है।
कॉल ड्राप और स्लोनेट स्पीड:
एक ओर घाटे का रोना रोकर कंपनियों ने मूल्य वृद्धि कर दी है, वहीं मोबाइल उपभोक्ता अभी भी कॉल ड्राप और स्लोनेट स्पीड की समस्या का समाना कर रहा है। आए दिन इन कंपनियों के नेट की स्पीड स्लो हो जाती है। ग्राहकों से 4जी वाली स्पीड की कीमत वसूली जाती है, जबकि उपभोक्त को 2 जी स्पीड दी जाती है। कॉल ड्राप की समस्या पहले की तरह बनी हुई है। इन कंपनियों ने गुणवक्ता में सुधार किए बगैर ही मूल्य वृद्धि की है। चूंकि मीडिया को ये कंपनियों करोड़ों रुपए के विज्ञापन देती है, इसलिए उपभोक्ताओंसे लूट पर मीडिया भी चुप रहेगा।
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