तो क्या एनआरसी का मतलब नहीं समझते अधीर रंजन चौधरी?

तो क्या एनआरसी का मतलब नहीं समझते अधीर रंजन चौधरी?
लोकसभा में कैसे निभा रहे हैं प्रतिपक्ष के नेता की जिम्मेदारी?

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श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित लोकसभा में कांगे्रस के करीब 54 सांसद हैं। इन सांसदों का नेता अधीर रंजन चौधरी को चुना गया था। चूंकि लोकसभा में कांग्रेस ही सबसे बड़ा विपक्षी दल है, इसलिए चौधरी को ही प्रतिपक्ष का नेता बनाया गया है। प्रतिपक्ष के नेता का महत्व इससे समझा जा सकता है कि जब कभी किसी संवैधानिक पद पर नियुक्ति की जानी हो या फिर किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार को विचार या निर्णय करना हो तो प्रतिपक्ष के नेता के नाते अधीर रंजन चौधरी को ही बुलाया जाता है। ऐसे में देश की जनता यह अपेक्षा करती है कि प्रतिपक्ष के नेता को महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी होगी ही। एक दिसम्बर को केन्द्रीय गृह मंत्री अमितशाह ने घोषणा की थी कि अब देश के सभी राज्यों में एनआरसी करवाई जाएगी, ताकि घुसपैठियों की पहचान की जा सके। सब जानते हैं कि एनआरसी का मतलब विदेशी नागरिकों को बाहर निकालना है। एनआरसी अभी असम में हुई है। असम में रहने वाले हजारों राजस्थानियों को भी भारत का ही नागरिका माना गया । किसी भी राजस्थानी को असम में प्रवासी नहीं माना गया। लेकिन प्रतिपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि दिल्ली एनआरसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह भी प्रवासी हो जाएंगे, क्योंकि ये दोनों गुजरात से आए हैं। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवानी भी दिल्ली में प्रवासी कहलाएंगे, क्योंकि ये दोनों भी पाकिस्तान से आए हैं। चौधरी ने स्वयं को भी प्रवासी मान लिया। चौधरी ने कहा कि उनके माता-पिता भी पश्चिम बंगाल छोड़ कर दिल्ली बसे हैं। चौधरी का मानना है कि एनआरसी होती है तो राजस्थान में राजस्थानी, गुजरात गुजराती, दिल्ली में जाट ही रहेंगे। चौधरी की ऐसी समझ पर तरस आता है। मालूम हो कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के समय लोकसभा में चौधरी ने ऐसी ही गैर जिम्मेदाराना बात कही थी, तब श्रीमती सोनिया गांधी ने भी नाराजगी जताई। यह तो अच्छा हुआ कि एनआरसी प्रकरण में चौधरी ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया। श्रीमती गांधी तो इटली से आकर दिल्ली में बसी हैं। शायद चौधरी को नागरिकता का मतलब समझ में नहीं आता है। यह माना कि लोकतंत्र में सरकार के निर्णयों की आलोचना होनी चाहिए, लेकिन आलोचना तथ्यों के आधार पर हो। एनआरसी का उद्देश्य सिर्फ विदेशी नागरिकोंकी पहचान करना है।
एस.पी.मित्तल) (02-12-19)
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