न गहलोत सरकार के जश्न और न कांग्रेस के सत्याग्रह में नजर आए सचिन पायलट।
न गहलोत सरकार के जश्न और न कांग्रेस के सत्याग्रह में नजर आए सचिन पायलट।
लेकिन नारायण सिंह के अभिनंदन समारोह में मुख्यमंत्री के साथ उपस्थिति दर्ज करवाई।
अजमेर में इंदिरा गांधी की प्रतिमा को दो वर्ष से पायलट का इंतजार।
25 दिसम्बर को सीकर के पलसाना में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण सिंह के अभिनंदन समारोह में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंच पर नजर आए। पायलट ने भी गहलोत के साथ नारायण सिंह का अभिनंदन किया। हालांकि नारायण सिंह अभी किसी भी पद पर नहीं है, लेकिन जाट समुदाय में नारायण सिंह के प्रभाव को देखते हुए गहलोत और पायलट ने एक साथ उपस्थिति दर्ज करवाई। इसमें कोई दो राय नहीं कि नारायण सिंह का राजस्थान की राजनीति में दबदबा रहा है। इसलिए वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तक बने। कांग्रेस की राजनीति में नारायण सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी वरिष्ठ हैं। मौजूदा समय में भी नारायण सिंह के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभिनंदन समारोह में सीएम और प्रदेशाध्यक्ष दोनों ही उपस्थित रहे। अलबत्ता सचिन पायलट तो इतने व्यस्त हैं कि अपनी ही सरकार के एक वर्ष पूरा होने के जश्न में भी शामिल नहीं हुए। जयपुर में गत 16 से 18 दिसम्बर तक लगातार तीन दिन तक गहलोत सरकार का जश्न मनाया गया। किसान सम्मेलन से लेकर विभिन्न विभागों के विकास प्रदर्शनी तक लगाई गई, लेकिन पायलट ने किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। सरकार के सभी कार्यक्रम मुख्यमंत्री गहलोत के सान्निध्य में ही हुए। सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर अभी तक भी प्रदेश कांगे्रस कमेटी की ओर से कोई आयोजन नहीं हुआ है। ऐसा नहीं कि पायलट अपनी ही सरकार के जश्न के कार्यक्रमों में भाग नहीं ले रहे है। 23 दिसम्बर को दिल्ली के राजघाट पर कांग्रेस की ओर से केन्द्र सरकार के खिलाफ जो सत्याग्रह किया, उसमें भी सचिन पायलट नजर नहीं आए। हालांकि इस सत्याग्रह में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, अशोक गहलोत आदि तमाम कांग्रेसी शामिल थे, पायलट कहीं भी नजर नहीं आए। बताया गया कि पायलट तमिलनाडु के दौरे पर हैं। यानि पायलट के लिए राजघाट के सत्याग्रह से ज्यादा जरूरी तमिलनाडु का दौरा था। सचिन पायलट किस कार्यक्रम में आए और किस कार्यक्रम में नहीं जाएं, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन एक राजनेता होने के कारण उनकी गतिविधियों पर राजनीतिक विमर्श तो होता ही है।
इंदिरा गांधी की प्रतिमा को भी इंतजार:
सचिन पायलट के आने का इंतजार राजघाट पर श्रीमती सोनिया गांधी और जयपुर में अशोक गहलोत को ही नहीं रहता, बल्कि अजमेर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रतिमा को भी है। इंदिरा गांधी की प्रतिमा तो गत दो वर्ष से पायलट के आने का इंतजार कर रही है। शहर कांग्रेस कमेटी ने अथक प्रयास कर अजमेर के स्टेशन रोड स्थित स्मारक पर इंदिरा गांधी की प्रतिमा दो वर्ष पहले लगवाई थी। पिछले दो वर्ष से इंदिरा गांधी की प्रतिमा सफेद कपड़े में पिलटी हुई। प्रतिमा का अनावरण अभी तक नहीं हुआ है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी भी अजमेर आ कर चले गए, लेकिन प्रतिमा का अनावरण नहीं हुआ। असल में प्रतिमा का अनावरण पायलट के द्वारा ही होना है, इसलिए कांग्रेस के किसी भी नेता की हिम्मत नहीं कि वह प्रतिमा का अनावरण कर दे। विगत दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब अजमेर आए तो कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गहलोत से प्रतिमा के अनावरण का आग्रह किया। लेकिन तब मामले में हस्तक्षेप करते हुए चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने मंच से कहा कि 6 दिसम्बर को प्रतिमा का अनावरण हो जाएगा। शर्मा का दावा रहा कि इस संबंध में सचिन पायलट से बात हो चुकी है। लेकिन 6 दिसम्बर गुजर जाने के बाद भी प्रतिमा सफेद कपड़े में ही लिपटी हुई खड़ी है। प्रतिमा का अनावरण कब होगा इसको लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने साफ कहा है कि प्रतिमा का अनावरण पायलट ही करेंगे। जैन ने कहा कि अब प्रतिमा का अनावरण जल्द होगा।
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