तो अब असदुद्दीन औवेसी भारत के आर्मी चीफ को डराने की हिम्मत दिखा रहे हैं।
तो अब असदुद्दीन औवेसी भारत के आर्मी चीफ को डराने की हिम्मत दिखा रहे हैं।
एनपीआर में गलत जानकारी दी जाए-अरुंधति रॉय।
देश के मौजूदा हालात कैसे है, इसका अंदाजा एअईएमआईएम दल के प्रमुख असदुद्दीन औवेसी और सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखिका माने जाने वाले अरुंधति रॉय के बयानों से लगाया जा सकता है। पहले बात औवेसी की। 26 दिसम्बर को एक समारोह में देश के आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने हाल ही में हुई हिंसा के संदर्भ में कहा कि ङ्क्षहसा के लिए छात्रों को भड़काने तथा गलत दिशा में ले जाने वाले लीडर नहीं होता। जो व्यक्ति सही दिशा दिखाए, वही लीडर होता है। संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा पर आर्मी चीफ की यह सामान्य प्रक्रिया थी। आर्मी चीफ ने अपने बयन में किसी दल या नेता का उल्लेख नहीं किया। वैसे भी हिंसा के पक्ष में कोई बात कही नहीं जा सकती। लेकिन असदुद्दीन औवेसी ने भारत के आर्मी चीफ को हद में रहने की नसीहत दे दी। औवेसी ने कहा कि जनरल बिपिन रावत को अपनी सीमा में रह कर बयान बाजी करनी चाहिए। औवेसी ने इस अंदाज में जवाब दिया, उससे प्रतीत हो रहा था कि वे आर्मीचीफ को डराने की हिम्मत दिखा रहे हैं। इससे पहले भी औवेसी हमारी सेना को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी कर चुके हैं। औवेसी कोई साधारण नेता नहीं है। वे एक राजनीतिक दल के प्रमुख होने के साथ साथ निर्वाचित सांसद भी हैं। सांसद के तौर पर औवेसी ने भारतीय संविधान की शपथ भी ले रखी है। सब जानते हैं कि भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने में सेना का कितना त्याग और बलिदान है। भारतीय सेना की वजह से ही औवेसी जैसे नेता देश में सुरक्षित हैं। अब यदि आर्मी चीफ को ही हद में रहने की नसीहत दी जा रही है तो असदुद्दीन औवेसी की हिम्मत का भी अंदाजा लगा लेना चाहिए। माना की भारत में लोकतंत्र हैं और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन क्या ऐसी आजादी में आर्मी चीफ को भी चुनौती दी जा सकती है? देश के मौजूदा हालातों में यह सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण है।
एनपीआर में गलत जानकारी दें:
अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत ही सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका माने जाने वाली अरुंधति ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए सरकारी कर्मचारी घर पर आएं तो नाम, पता आदि के बारे में गलत जानकारी दी जाए। अरुंधति ने यह बात एनपीआर के विरोध स्वरूप में कही। सवाल है कि क्या एक भारतीय नागरिक को इस तरह की सलाह दी जानी चाहिए। सब जानते हैं कि जनसंख्या के आंकड़ों पर ही देश की योजनाएं तैयार होती है। यदि लोग गलत जानकारी देंगे तो योजनाएं भी गलत बनेगी। माना कि अरुंधति रॉय जैसी नेत्रियों की मौजूदा सरकार से पटरी नहीं बैठ रही है, लेकिन सरकार से हुई नाराजगी देश से निकाली जाए तो यह उचित नहीं होगा। अच्छा हो कि अरुंधति रॉय देश को भ्रमित करने वाली सलाह नहीं दें।
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