एडवोकेट सुरेन्द्र कुमार जालवाल को अस्पताल ले जा रही एम्बुलैंस मेरवाड़ा एस्टेट समारोह स्थल के ट्रेफिक जाम में 45 मिनट तक फंसी रही।
एडवोकेट सुरेन्द्र कुमार जालवाल को अस्पताल ले जा रही एम्बुलैंस मेरवाड़ा एस्टेट समारोह स्थल के ट्रेफिक जाम में 45 मिनट तक फंसी रही। आखिर मौत ही मिली। क्या अजमेर का वकील समुदाय जनहित में कोई कार्यवाही करेगा?
अजमेर के मशहूर वकील सुरेन्द्र कुमार जालवाल को 25 दिसम्बर को सायं साढ़े चार बजे अचानक दिल का दौरा पड़ा। परिजन ने तत्काल एम्बुलैंस मंगवाई, ताकि जेएलएन अस्पताल के हृदय रोग विभाग में इलाज करवाया जा सके। लेकिन जालवाल को अस्पताल ले जा रही एम्बुलैंस सुभाष बाग के निकट मेरवाड़ा एस्टेट समारोह स्थल (भागचंद की कोठी) के ट्रेफिक जाम में फंस गई। जाम भी इतना बड़ा कि एम्बुलैंस को भी निकलने में 45 मिनट लग गए। जालवाल के परिजन को तब बेहद दु:ख हुआ, जब अस्पताल के चिकित्सकों ने प्राथमिक जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। ट्रेफिक जाम से लेकर अस्पताल तक बड़ी संख्या में वकील मौजूद रहे। परिजन और वकील मेरवाड़ा एस्टेट के ट्रेफिक जाम को कोसते रहे। एम्बुलैंस के साथ चल रहे एडवोकेट सूर्य प्रकाश गांधी का कहना है कि यदि एम्बुलैंस 45 मिनट तक जाम में नहीं फंसती तो शायद वकील साथी को बचाया जा सकता था। 25 दिसम्बर की शाम को मेरवाड़ा एस्टेट समारोह स्थल के नीचे मुख्य मार्ग पर जो जाम लगा वो पहली बार नहीं था। इस समारोह स्थल की वजह से आए दिन ऋषि घाटी बाइपास मार्ग पर जाम लगता ही है। हालांकि मेरवाड़ा एस्टेट का होटल का स्वरूप है, लेकिन शहर के बीचों बीच धड़ल्ले से समारोह स्थल चलाया जा रहा है। जब भी कोई बारात आती है तो पूरा मार्ग जाम हो जाता है। चूंकि समारोह स्थल पर पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, इसलिए नीचे मुख्य मार्ग के दोनों ओर वाहनों की पार्किंग होती है। शादी-ब्याह वालों से पार्किंग सुविधा के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है, जबकि वाहनों की पार्किंग सरकारी सड़क पर होती है। ट्रेफिक पुलिस के सिपाही से लेकर जिला पुलिस के बड़े अधिकारियों तक को पता है कि इस समारोह स्थल की पार्किंग पूरी तरह अवैध है और इसी वजह से आए दिन जाम होता है, लेकिन समारोह स्थल के मालिकों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती है। कार्यवाही क्यों नहीं होती, यह सब को पता है। मेरवाड़ा एस्टेट होटल वाले समारोह स्थल के नियमों के अनुरूप भी खरे नहीं उतरते हैं। चूंकि नगर निगम के अधिकारियों की आंखों पर भी चांदी का चश्मा लगा हुआ है, इसलिए कोई कार्यवाही नहीं होती। चूंकि इस मार्ग से पुष्कर रोड फॉयसागर रोड कोटड़ा आदि जुड़ा हुआ है, इसलिए दिन रात ट्रेफिक चलता रहता है। जाम होने की वजह आए दिन हजारों लोग परेशान होते हैं। चूंकि सुभाष बाग घुमने वाले जायरीन भी इसी मार्ग से होकर गुजरते हैं, इसलिए अतिरिक्त जायरीन की भी भीड़ रहती है। यदि कोई जायरीन गलती से अपना वाहन इस मार्ग पर खड़ा कर दे तो ट्रेफिक पुलिस की क्रेन वाहन को उठाकर ले जाती है, लेकिन समारोह स्थल की अवैध पार्किंग पर पुलिस को कोई ऐतराज नहीं होता है। जब सरकारी तंत्र पर चांदी का चश्मा चढ़ जाता है, तब मीडिया और वकील समुदाय से ही उम्मीद की जाती है। अब चूंकि मेरवाड़ा एस्टेट होटल के ट्रेफिक जाम का दु:ख वकील समुदाय को भी पहुंच चुका है, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि समारोह स्थल की अवैध पार्किंग पर तो कार्यवाही होगी ही। कोई तो वकील जनहित में याचिका दायर कर पूछेगा कि नियमों के विरुद्ध समारोह स्थल कैसे चल रहा है और सरकारी सड़क पर पार्किंग क्यों होती है? जब वाहनों की पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं है, तब नगर निगम ने समारोह स्थल का लाइसेंस कैसे दे दिया? क्या निगम के ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? सवाल यह भी है कि आए दिन जाम होने के बाद भी समारोह स्थल पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। सुभाष बाग के मुख्य द्वार से लेकर बारादरी तक अस्थायी अतिक्रमण भी सामान्य यातायात को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे अस्थायी अतिक्रमण भी किसी भी सरकारी तंत्र को नजर नहीं आते हैं।
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