सीएए के विरोध के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना उचित नहीं।
सीएए के विरोध के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना उचित नहीं।
देश के मौजूदा हालात से पाकिस्तान तो पहले ही खुश होगा।
संशोधित नागरिकता कानून का जिस तरह विरोध हो रहा है, उससे सबसे ज्यादा खुश हमारा पड़ौसी देश पाकिस्तान होगा। जिस पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने पर किसी भी मुस्लिम देश का समर्थन नहीं मिला, वह पाकिस्तान भारत के ताजा हालातों से खुश ही होगा। 27 दिसम्बर को भी जुम्मे की नजाम के बाद अनेक स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के हजारों लोगों ने नागरिकता कानून के विरोध में जुलूस निकाले। हालांकि 27 दिसम्बर वाले जुम्मे पर शांति बनी रही, लेकिन सब जनते हैं कि इससे पहले 20 दिसम्बर वाले जुम्मे पर भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर हिंसा हुई थी। हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में मेरठ शहर भी शामिल रहा। अब न्यूज चैनलों पर मेरठ के सिटी एसपी अखिलेश नारायण का एक वीडियो दिखाया जा रहा है। इस वीडियो में अखिलेश कह रहे हैं कि पाकिस्तान से इतना ही प्यार है तो फिर पाकिस्तान चले जाएं। ऐसा कथन हालातों को नियंत्रण करने के दौरान सामने आया। इस संबंध में सिटी एसपी का कहना है कि जब पुलिस उपद्रवियों को नियंत्रित कर रही थी, तब कुछ लड़के मुंह पर काला कपड़ा बांध कर पत्थर फेंक रहे थे और खुले आम पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इतना ही नहीं भारत विरोधी पर्चे भी बांटे गए। हालांकि पाकिस्तान चले जाने वाली टिप्पणी को एडीजी प्रशांत कुमार ने गैर जरूरी बताया है, लेकिन प्रशांत कुमार ने भी कहा कि लोगों को पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने से बचना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत लोकतांत्रिक देश है और यहां विरोध प्रकट करने की आजादी है, लेकिन विरोध के दौरान देश का विरोध नहीं होना चाहिए। यदि नागरिकता कानून के विरोध के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाएंगे तो यह उचित नहीं होगा। जब विरोध करने वाले भारत को अपना मुल्क बता रहे हैं तो फिर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों लगाए जा रहे हैं? सब जानते हैं कि पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में बैठे आतंकी खुलेआम भारत को चुनौती देते हैं। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर किसी को एतराज नहीं है, लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों के साथ हिंसा की जाएगी तो फिर पुलिस जवाबी कार्यवाही तो करेगी ही। विरोध करने वालों को यह भी समझना चाहिए कि जम्मू कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान अलग थलग पड़ा हुआ है। जो पाकिस्तान पांच माह पहले तक हमारे जम्मू कश्मीर में हिंसा करवाता था, वहीं पाकिस्तान अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद हिंसा करवाने में सफल नहीं हो रहा है। 370 के हटने के बाद जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल रहा, जबकि कश्मीर घाटी में भी शांति कायम हो रही है। पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर में अमन चेन भी रास नहीं आ रहा है। इससे पाकिस्तान के मंसूबों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में यदि भारत की धरती पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगेेेंगे तो पाकिस्तान खुश होगा ही। जहां तक मेरठ के एसपी का कथन है तो उसे भी उचित नहीं माना ज सकता है। सरकारी पद पर बैठे अधिकारी को संयम से काम लेना चाहिए। मेरठ एसपी के इस बयान को कुछ राजनेता अब तूल देने में पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन ऐसे नेता पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।
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