सुप्रीम कोर्ट का सीएए पर रोक लगाने से इंकार। चार हफ्ते बाद सुनवाई।
एनपीआर को सीएए से नहीं जोड़े। 144 याचिकाएं दायर।
सीएए पर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही सुनवाई होगी।
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संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कानून के विरोध में 144 याचिकाएं दायर की गई है। कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकार्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए सीएए पर रोक लगाने की मांग की। तीन सदस्यीय पीठ के अध्यक्ष सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि संसद में पास कानून पर रोक संविधान पीठ ही लगा सकती है। तीन सदस्यीय पीठ को कानून पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है। इस पर दोनों वकीलों का कहना रहा कि संविधान पीठ की सुनवाई तक सीएए को टाल दिया जाए। सीजेआई ने दोनों वकीलों की इस मांग को भी मानने से इंकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि सभी 144 याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगी। संसद के दोनों सदनों में स्वीकृत और राष्ट्रपति से मंजूर होने के बाद किसी कानून को रद्द करने को लेकर संविधान पीठ सुनवाई कर सकती है या नहीं इस पर भी पांच सदस्यीय संविधान पीठ ही निर्णय लेगी। इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि सीएए पर अब किसी भी हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकेगी। इस कानून से संबंधित सभी याचिकाओं पर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा कि सीएए पर सुनवाई जोनवार हो सकती है। असम और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की स्थिति को देखते हुए अलग अलग सुनवाई हो। सभी याचिकाओं को देखने के बाद ही सुनवाई होगी। याचिकार्ताओं के वकीलों ने जब एनपीआर को सीएए से जोडऩे की बात कही तो कोर्ट ने साफ कहा कि एनपीआर और सीएए अलग अलग मुद्दे हैं। दोनों को एक साथ रखकर सुनवाई नहीं हो सकती। सरकार की ओर से अर्टोनीजनरल तुषार मेहता का कहना रहा कि पहले सभी याचिकाओं की प्रति दिलवाई जाए ताकि सरकार की ओर से जवाब दिया जा सके। इस पर सीजेआई ने सरकार को याचिकाओं की प्रति उपलब्ध करवाने के निर्देश भी दिए।
एस.पी.मित्तल) (22-01-2020)
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