महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा करने के लिए बनाया सीएए कानून।

महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा करने के लिए बनाया सीएए कानून।
इस बार दो लाख मुसलमानों ने की हज यात्रा।
अनुच्छेद 370 को हटाना ऐतिहासिक फैसला। 

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राष्ट्रपति कोविंद ने मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाई तो विपक्ष ने विरोध प्रदर्शन किया।
31 जनवरी को संसद के बजट सत्र के शुभारंभ पर राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद ने अपना अभिभाषण पढ़ा। इस अभिभाषण में जहां नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की उपलब्धियां गिनाई गई, वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की अगुवाई में विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के मद्देनजर राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा करने के लिए सीएए कानून लाया गया है। देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान में उपजे हालातों को देखते हुए महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू और सिक्ख समुदाय के लोग भारत की नागरिकता ले सकते हैं। आजादी के बाद भी देश के अनेक महापुरुषों ने ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही थी। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई किसी विचारधारा के दल का नेता हो, लेकिन पहले वह देश का नागरिक है। विरोध के नाम पर हिंसा देश को कमजोर करती है। राष्ट्रपति  ने इस बात पर संतोष जताया कि संसद के दोनों सदनों ने सीएए को स्वीकृत कर महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जो नीतियां बनाई, उसी का परिणाम है कि इस वर्ष  दो लाख मुलसमानों ने हज यात्रा की है। मुस्लिम बच्चों को स्कॉलरशिप देने के लिए भी अनेक योजनाएं बनाई गई है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना सरकार का ऐतिहासिक फैसला है। इससे न केवल आतंकवाद में कमी आई, बल्कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों को अनेक अधिकार भी मिले हैं।
3 लाख अरब डॉलर का विदेशी निवेश:
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की नीतियों की वजह से तीन लाख अरब डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है। इसलिए आज दुनिया में मोबाइल बनाने में भारत का पहला स्थान है। अब भारत से मोबाइल फोनों का निर्यात भी हो रहा है।
विपक्ष का विरोध प्रदर्शन:
एक ओर जहां राष्ट्रपति ने सीएए को महात्मा गांधी की इच्छा के अनुरूप बताया, वहीं विपक्ष ने सीएए को संविधान के विरुद्ध बताकर संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सांसदों ने हाथों में तख्तियां लेकर विरोध जताया। सरकार से मांग की गई कि इस कानून को वापस लिया जाए।
(एस.पी.मित्तल) (31-01-2020)
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