तो दिल्ली चुनाव में हो जाएगा सीएए पर जनमत संग्रह।

तो दिल्ली चुनाव में हो जाएगा सीएए पर जनमत संग्रह।
शाहीन बाग में धरने से लेकर गोली चलने तक की घटनाएं। 

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दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के चुनाव परिणाम पर पूरे देश की नजर लगी हुई है। हालांकि दिल्ली विधानसभा का महत्व किसी नगर निगम के बराबर ही है, लेकिन देश की राजधानी होने और शाहीन बाग के बेमियादी धरने की वजह से दिल्ली चुनाव पर देशभर के लोगों की निगाहें लगी हुई है। दिल्ली में 8 फरवरी को मतदान तथा 11 फरवरी को मतगणना होगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भले ही अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाएं और भाजपा के नेता सरकार की विफलता, लेकिन दिल्ली का माहौल बताता है कि चुनाव पूरी तरह संशोधित नागरिकता कानून पर आकर टिक गया है। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से लेकर शाहीन बाग तक जिस तरह सीएए का विरोध हो रहा है उससे प्रतीत होता है कि दिल्ली के चुनाव में सीएए सबसे बड़ा मुद्दा होगा। ऐसा नहीं कि सीएए के पक्ष में माहौल न हो। असल में जिस मजबूती के साथ सीएए का विरोध हो रहा है, उतनी मजबूती के साथ लोग सीएए के पक्ष में खड़े हैं। यही वजह है कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का कोई भी नेता शाहीन बाग नहीं जा रहा है। केजरीवाल सीएए का विरोध तो करते हैं, लेकिन शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़ा होना दिखाना नहीं चाहते। केजरीवाल शाहीन बाग के समर्थकों के वोट तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें अपने वोट बैंक की भी चिंता है। यही वजह है कि शाहीन बाग के मुद्दे पर केजरीवाल का दोहरा चरित्र नजर आ रहा है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस के नेता खुले तौर पर शाहीन बाग के साथ खड़े हैं। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ने अपनी लकीर साफ कर दी है। चूंकि भाजपा सीएए के पक्षधर है, इसलिए उसने इस मुद्दे पर केजरीवाल और कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। भाजपा ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि कांग्रेस और केजरीवाल हिन्दुओं और सिक्खों को नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं, जिन्हें पाकिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताडि़त किया गया है। यानि कहा जा सकता है कि दिल्ली का चुनाव सीएए पर जनमत संग्रह होगा। हालांकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सीएए को संसद के दोनों सदनों से मंजूर करवाया गया है, इसलिए जनमत संग्रह जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन कुछ लोगों ने जो माहौल बनाया है उसकी वजह से दिल्ली चुनाव सीएए सबसे बड़ा मुद्दा हो गया है। चूंकि दिल्ली में शाहीन बाग के धरने को दो माह पूरे हो रहे हैं, ऐसे में शाहीन बाग पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर रखा है। दो माह से हजारों लोग खास कर मुस्लिम महिलाएं दिल्ली-नोएडा को जोडऩे वाले मुख्य मार्ग पर बैठी हैं। देखना है कि 11 फरवरी को चुनाव परिणाम के बाद शाहीन बाग के धरने का क्या होता है।
(एस.पी.मित्तल) (03-02-2020)
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