आखिर न्यूज चैनल क्यों दिखाते हैं नेताओं के भड़काऊ बयान-भाषण?

आखिर न्यूज चैनल क्यों दिखाते हैं नेताओं के भड़काऊ बयान-भाषण?
शहीद जवान रतनलाल का सीकर के तिहावली में अंतिम संस्कार।
सात वर्षीय बेटे राम ने दी मुखाग्नि।
शहीद का दर्जा दिलवाने में सतीश पूनिया की पहल। 

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26 फरवरी को भी न्यूज चैनलों पर नेताओं के भड़काऊ बयान और भाषण प्रसारित होते रहे। वहीं कफ्र्यू के बाद भी दिल्ली में हिंसा का दौर जारी रहा। लापता आईबी अधिकारी अंकित शर्मा का शव भी मिल गया है। हिंसा में अब तक 20 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। देश की राजधानी के हालात कैसे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। सोशल मीडिया पर साम्प्रदायिकता फैलाने की पोस्ट नहीं डालने की अपील की जाती है, लेकिन न्यूज चैनलों पर नेताओं के भड़काऊ भाषण और बयान पर रोक नहीं लगाई जाती। ऐसे नेता खुलेआम एक दूसरे समुदाय के विरुद्ध गैर जरूरी टिप्पणियां करते हैं। नेताओं के बयान न केवल जहरीले होते हैं, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले भी होते हैं। राजनेता तो वोटों के खातिर कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन न्यूज चैनलों की भी तो कोई जिम्मेदारी होगी? जब भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर डालना अपराध है तो भड़काऊ भाषण प्रसारित करना अपराध क्यों नहीं है? दिल्ली हिंसा के दौरान जिस प्रकार नेताओं के बयान चैनलों पर दिखाए जा रहे हैं उससे माहौल और बिगड़ रहा है। अधिकांश चैनल हिंसा को लेकर रिपोर्टिंग भी देशहित और शांति बहाली के लिए नहीं कर रहे है। माना कि लोकतंत्र में मीडिया को आजादी मिली हुई है, लेकिन ऐसी आजादी किस काम की कि जिससे देश ही खतरे में पड़ जाए? हालांकि अभी मीडिया पर कोई प्रतिबंध लगाने का सवाल नहीं है, लेकिन मीडिया को भी में देशहित में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। पत्रकारिता ऐसी हो, जिससे दिल्ली में जल्द से जल्द शांति हो सके। मीडिया को उन चेहरों को उजागर करना चाहिए जो हिंसा के लिए जिम्मेदार है।
सात वर्षीय पुत्र राम ने दी मुखाग्नि।
25 फरवरी को राजस्थान के सीकर जिले के तिहावली गांव में दिल्ली पुलिस के हैड कांस्टेबल रतनलाल का अंतिम संस्कार किया गया। दिल्ली में उपद्रवियों से मुकाबला करते हुए रतनलाल 24 फरवरी को शहीद हुए थे। 26 फरवरी को तिहावली गांव में सात वर्षीय पुत्र राम ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस अवसर पर उपस्थित हजारों लोगों की आंखों में आंसू आगए। अंतिम संस्कार के समय बड़ी संख्या में ग्रामीण उपसित रहे, दिल्ली पुलिस के इतिहास में यह पहल अवसर है, हिंसा में मारे गए किसी पुलिस कर्मी को शहीद का दर्जा दिया गया है। राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह से फोन पर संवाद कर रतनलाल को शहीद का दर्जा देने का आग्रह किया था। असल में रतनलाल के परिजन मृत्यु के बाद से ही शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे थे, परिजन ने कहा था कि जब तक शहीद का दर्जा नहीं मिले तक तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। परिजन की भावनाओं का ख्याल रखते हुए अमितशाह से पूनिया ने संवाद किया। गृहमंत्री ने पूनिया को सूचित किया गया रतनलाल की बहादुरी का देखते हुए दिल्ली पुलिस ने शहीद का दर्जा देने का निर्णय लिया । इसके साथ ही रतनलाल के परिजन को एक करोड़ रुपए का पैकेज तथा उनकी पत्नी पूनम को योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी भी दी जाएगी।
(एस.पी.मित्तल) (26-02-2020)
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