ख्वाजा उर्स में शरीक होने आया पाकिस्तान का जायरीन दल अजमेर में कड़े सुरक्षा पहरे में रहेगा। मीडिया और पाक जायरीन को भी खास हिदायत।
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29 फरवरी को तड़के पाकिस्तान का जायरीन दल अजमेर पहुंच गया है। दो सौ से भी अधिक पाकिस्तानी जायरीन आगामी 7 मार्च तक अजमेर में ही रहेंगे। यह दल सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 808वें सालाना उर्स में शरीक होने के लिए आया है। माना तो यही जाता है कि दोनों देशों के बीच सद्भावना के माहौल को और मजबूत करने के लिए ऐसी यात्राएं होती है, लेकिन अजमेर में पाक जायरीन को कड़े सुरक्षा पहरे में रखा गया है। जिला प्रशासन ने भी मीडिया और पाक जायरीन को सुरक्षा के मद्देनजर विशेष हिदायत दी है। मीडिया से कहा गया कि पाक जायरीन से सीधे संवाद नहीं किया जाए और न ही इधर-उधर की खबरें चलाई जाएं। इसी प्रकार पाक जायरीन से भी कहा गया कि वे सुरक्षा के बगैर सेंट्रल गल्र्स स्कूल परिसर से बाहर नहीं निकले। प्रशासन ने इसी स्कूल में पाक जायरीन के आवास की व्यवस्था की है। जायरीन की सुरक्षा का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 29 फरवरी को रेलवे स्टेशन पर स्वागत की रस्म भी नहीं की गई। ट्रेन से उतरते ही जायरीन को फटाफट सेंट्रल गल्र्स स्कूल ले आया गया। स्वागत की रस्म दोपहर को स्कूल परिसर में ही गई। तीन-तीन सम्पर्क अधिकारी बनाए जाने के बाद भी अब दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद को भी नई जिम्मेदारी दी गई है। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी के नाजिम ही बताएंगे कि पाक जायरीन दल ख्वाजा साहब की मजार पर चादर कब पेश करेगा तथा पाक जायरीन कब और किस तरह दरगाह में जियारत करेगा। नाजिम को भी सभी बातें और सूचनाएं गोपनीय रखने की हिदायत दी गई। आमतौर पर जनसम्पर्क विभाग प्रशासन के हवाले से प्रेस नोट जारी कर पाक जायरीन दल के नेता के बारे में विस्तृत जानकारी देता है, लेकिन इस बार ऐसी सामान्य जानकारियों से ही परहेज किया जा रहा है। असल में प्रशासन पाक जायरीन की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है। पाक जायरीन दल अजमेर में जुलूस निकाल कर चादर को मजार पर पेश करता रहा है, लेकिन इस बार जुलूस निकालना भी मुश्किल बताया जा रहा है। प्रशासन अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहा है कि पाक जायरीन को लेकर कोई अप्रिय घटना नहीं हो। इसके लिए जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा और पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप सिंह स्वयं निगरानी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब का छह दिवसीय उर्स धार्मिक दृष्टि से दो मार्च को कुल की रस्म के साथ सम्पन्न होगा। उर्स में जियारत के लिए लाखों जायरीन इन दिनों अजमेर आए हुए हैं। ऐसे में पाक जायरीन की सुरक्षा भी प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती है।
रद्द होती रही हैं ऐसी यात्राएं:
ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में पाकिस्तान से जायरीन दल का आना भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर निर्भर करता है। जब कभी दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण होते हैं। तो ऐसी यात्राओं को रद्द कर दिया जाता है। ख्वाजा साहब के उर्स में भी ऐसे कई अवसर आए जब पाक जायरीन दल की यात्रा को रद्द कर दिया गया। गत वर्ष भी उर्स में पाक जायरीन दल नहीं आया था। लेकिन इस बार 200 से भी ज्यादा पाक जायरीन उर्स में शरीक होने के लिए आए हैं। हालांकि मौजूदा समय में भी दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण ही हैं। लेकिन इसके बावजूद भी पाक जायरीन को भारत सरकार की ओर से वीजा दिया गया है।
(एस.पी.मित्तल) (29-02-2020)
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