कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे का वायरस भोपाल से गुजरात पहुंचा।
कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे का वायरस भोपाल से गुजरात पहुंचा।
संक्रमण को रोकने के लिए राजस्थान में पुख्ता इंतजाम।
गुजरात के चार कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से हड़कंप।
एमपी के कांग्रेस विधायक जयपुर से भोपाल पहुंचे, लेकिन 16 मार्च को विधानसभा में बहुमत पर फैसला संभव नहीं।
कांग्रेस में विधायकों के इस्तीफे का वायरस 15 मार्च को भोपाल से निकल कर गुजरात की राजधानी गांधीनगर में पहुंच गया है। राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के विधायक जेवी काकडिय़ा, शोभाभाई पटेल, मंगल गामित तथा प्रद्युमन सिंह जाडेजा ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे का मामला अभी निपटा भी नहीं था कि गुजरात के चार विधायकों ने इस्तीफा देकर कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया है। चार विधायकों के इस्तीफे के बाद माना जा रहा है कि राज्यसभा के चुनाव में अब गुजरात में भाजपा के तीनों उम्मीदवार चुन लिए जाएंगे। गुजरात में 182 विधायकों में से 102 भाजपा 73 कांग्रेस एक एनसीपी, दो बीटीपी तथा दो स्थान रिक्त हैं। ऐसे में जीत के लिए एक उम्मीदवार को 37 वोट की आवश्यकता है। अब चूंकि कांग्रेस के चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, इसलिए कांग्रेस विधायकों की संख्या घट कर 69 हो गई है। ऐसे में भाजपा के तीनों उम्मीदवारों की जीत को तय माना जा रहा है जबकि कांग्रेस का एक ही उम्मीदवार जीत की स्थिति में दिख रहा है। कांग्रेस ने दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस को अभी भी क्रॉस वोटिंग की आशंका है, इसलिए गुजरात से 14 विधायकों को जयपुर भेज दिया गया है। गुजरात से आए विधायक जयुपर की होटल शिव विलास में ठहरे हुए हैं। उधर, मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्ववाली कांग्रेस सरकार अभी भी अधर झूल में लटकी हुई है। कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को निर्देश दिए हैं कि 16 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित किया जाएगा। अपने आदेश में राज्यपाल ने माना है कि प्रथमदृष्टिया सरकार अल्पमत में आ गई है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि 16 मार्च को विधानसभा में सरकार की ओर से बहुमत का प्रस्ताव न रखा जाए। बहुमत साबित करने को लेकर किसी न किसी प्रकार से स्थिति को टालने का प्रयास हो रहा है। हो सकता है कि कोरोना वायरस की वजह से विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति विधानसभा सत्र को भी स्थगित कर दें। हालांकि बजट सत्र का द्वितीय चरण 16 मार्च से शुरू होने वाला है। कांग्रेस की रणनीति को देखते हुए ही बैंगलूरू में बैठे इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के 22 विधायकों का भोपाल आना भी टल गया है। माना जा रहा है कि ये विधायक बैंगलूरू से भोपाल तभी आएंगे जब विधानसभा में सरकार अपना बहुमत साबित करने का प्रस्ताव रखेगी। मालूम हो कि विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि विधायक उनके सामने उपस्थित होकर इस्तीफे का पत्र सौंपेंगे तभी इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा। यह बात अलग है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों में से छह मंत्रियों को मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया है। चूंकि अभी इन 22 विधायकों के इस्तीफे विधिवत तौर पर स्वीकार नहीं हुए हैं, इसलिए मध्यप्रदेश में अभी तक सरकार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ का दावा है कि इस्तीफे की पेशकश करने वाले अनेक विधायक उनके सम्पर्क में हैं। हालांकि बैंगलूरू में बैठे सभी 22 विधायकों ने कई बार स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने इस्तीफे पर कायम हैं। मध्यप्रदेश में 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के विधयकों की संख्या 92 रह गई है, जो सरकार को बनाए रखने के लिए अपर्याप्त हैं। वहीं बीजेपी के विधायकों की संख्या 107 है, जबकि बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरुरत है।
राजस्थान में पुख्ता इंतजाम:
गुजरात में कांग्रेस के चार विधायकों के इस्तीफे के बाद राजस्थान में इस्तीफे के संक्रमण को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। राजस्थान में भी राज्यसभा के तीन सदस्यों के बीच चुनाव 26 मार्च होने है। भाजपा ने चौथा उम्मीदवार मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है। कांग्रेस नहीं चाहती है कि इस्तीफे का जो वायरस भोपाल से निकल कर गुजरात पहुंचा है, वह राजस्थान में भी प्रवेश करे। यह बात अलग है कि राजस्थान में मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों को छिपाया जा रहा है। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार यह तो चाहती है कि मध्यप्रदेश और गुजरात के कांग्रेस विधायकों को जयपुर में सुरक्षित रखा जाए, लेकिन गहलोत यह नहीं चाहते कि इस्तीफे के संक्रमण राजस्थान के विधायकों में भी प्रवेश करे। देखना है कि राजस्थान के कांग्रेस के विधायकों को इस्तीफे के संक्रमण से कैसे रोका जाता है?
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