अजमेर के कवंडसपुरा में खुलेआम हो रही है मांस और मुर्गियों की बिक्री।
अजमेर के कवंडसपुरा में खुलेआम हो रही है मांस और मुर्गियों की बिक्री।
कोरोना वायरस की दहशत के मद्देनजर कैसे होगी स्वच्छता?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर अजमेर के जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा तक ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए स्वच्छता बरतने के सख्त निर्देश दिए हैं। स्वच्छता का ख्याल रखते हुए अजमेर में सिंधियों के चेटीचंड और जैन समुदाय की महावीर जयंती पर निकलने वाले जुलूसों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। कोरोना वायरस से बचने के लिए सबसे ज्यादा स्वच्छता पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अजमेर के कवंडसपुरा बाजार स्थित न्यू मैजेस्टिक मॉल के निकट खुले आम मांस और जिंदा मुर्गियों की बिक्री हो रही है। कोई एक दर्जन से भी ज्यादा मांस की दुकानों पर मरे हुए जानवरों के अंग लटके हुए हैं तथा जिंदा मुर्गियों का बाजार सजा हुआ है। भीषण दुर्गंध की वजह से इन दुकानों के सामने से गुजरना भी मुश्किल होता है। गंभीर बात यह है कि ऐसी दुकानें मुख्य बाजार में हैं और ग्राहक सड़क पर खड़े होकर ही मांस और मुर्गियों की खरीददारी कर रहे हैं। मांस के टुकड़े और मुर्गियों के पंख आदि बाजार की मुख्य सड़क पर ही पड़े हुए है। हालांकि नगर निगम सफाई का दावा करता है, लेकिन सफाई की सच्चाई को कभी भी इस बाजार में आकर देखा जा सकता है। इस बाजार की स्थिति को देखने के बाद प्रतीत होता है कि शासन प्रशासन की कथनी और करनी में अंतर होता है। वाहवाही लूटने के लिए अखबारों और न्यूज चैनलों में स्वच्छता के उपदेश दिए जाते हैं, वहीं अजमेर के भीड़ वाले कवंडसपुरा बाजार में हालात बेहद खतरनाक हैं। सवाल उठता है कि जो लोग स्वच्छता पर इन दिनों उपदेश दे रहे हैं, क्या उन्हें कवंडसपुरा बाजार में भीषण गंदगी और दुर्गंध का अहसास नहीं होता? जाहिर है कि कहने और करने में बड़ा अंतर है। कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए अजमेर के सुभाष बाग तक में प्रवेश पर रोक लगा दी है, लेकिन वहीं कवंडसपुरा में खुले आम मांस और मुर्गियों की बिक्री हो रही है। नगर निगम की तरह चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं।
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