आखिर निर्भया के बलात्कारियों और हत्यारों को फांसी मिल ही गई।
आखिर निर्भया के बलात्कारियों और हत्यारों को फांसी मिल ही गई।
ऐसे अपराधी प्रवृत्ति के लोग सबक लें।
अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों का ख्याल करें।
20 मार्च को तड़के दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया के चारों बलात्कारी और हत्यारों को फांसी पर लटका दिया गया। फांसी पर लटकने वाले मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को बचाने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन आखिर में चारों को मौत को गले लगाना ही पड़ा। इन चारों युवकों की उम्र तीस वर्ष के अंदर है। ये चारों तो अपने बुरे कर्मों की सजा प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन सवाल उठता है कि परिवार के अन्य सदस्यों का क्या होगा। उस पत्नी क्या कसूर किया है जिसने अरमानों के साथ विवाह किया था? बुजुर्ग माता-पिता को उम्मीद थी कि बच्चा बुढ़ापे का सहारा बनेगा। छोटे मासूम बच्चे भी अब किसे पापा बुलाकर पुकारेंगे। ऐसी अनेक परिस्थितिया उत्पन्न होंगी, जिन से ऐसे अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को सबक लेना चाहिए। जो कानून को अपनी जेब में समझ कर अपराध करते हैं उन्हें इन चारों युवकों की फांसी से सबक लेना चाहिए। जांच पड़ताल में पता चला कि जब ये चारों युवक निर्भया के साथ दरिंदगी कर रहे थे, तब शराब के नशे में धुत्त थे। यानि अपराध का एक कारण शराब का सेवन भी है। जो युवा अपराधी प्रवृत्ति होने के साथ साथ शराब का सेवन करते है उन्हें तो इस फांसी से और अधिक सबक लेना चाहिए। भले ही पवन गुप्ता जैसे युवक का यह पहला अपराध रहा हो, लेकिन शराब की लत ने उसकी जिन्दगी बर्बाद कर दी। अब परिवार के सदस्य किन परिस्थितियोंमें जिन्दगी को व्यतीत करेंगे इसकी कल्पना की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जजों के अनुसार फांसी पर लटने के बाद चारों युवक भगवान के पास चले गए हैं। लेकिन पीछे रह गए बुजुर्ग माता पिता, पत्नी छोटे बच्चे कैसे जीएंगे इस पर भी हमारे समाज को विचार करना चाहिए। सवाल उठता है कि आखिर समाज के ऐसे हालात कैसे हो गए कि एक मजबूर लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की गई? जाहिर है कि समाज के युवाओं को भी अपनी सोच में बदलाव करना होगा। समाज में ऐसी विचारधारा पनपनी चाहिए जिससे व्यक्ति खास कर युवा की किसी अपराध को अंजाम देने से डरे। जो लोग अपराधी प्रवृत्ति के हैं उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के बारे में भी सोचना चाहिए।
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