लॉक डाउन वाले जिलों में प्रशासन को सख्ती करनी पड़ेेगी।

लॉक डाउन वाले जिलों में प्रशासन को सख्ती करनी पड़ेेगी।
छूट का नाजायज फायदा उठा रहे हैं लोग।
कोरोना वायरस की दहशत को देखते हुए महाराष्ट्र में अखबार भी बंद।
बैंकों में महिला कर्मचारियों की छुट्टी। 

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22 मार्च को जनता कफ्र्यू तो देशभर में पूरी तरह सफल रहा, लेकिन 23 मार्च को राज्य सरकारों का लॉकडाउन पूरी तरह सफल नहीं कहा जा सकता। लोगों को राहत देने के लिए सरकारों ने पेट्रोल पंप, किराना स्टोर, डेयरी, मेडिकल स्टोर तथा सब्जी की दुकानों को खुला रखने का निर्णय लिया। इस छूट की वजह से लो अपने घरों से निकल सकते हैं। सरकार की मंशा यह रही कि किसी भी व्यक्ति को खाद्य सामग्री को लेकर परेशानी नहीं हो, लेकिन लोगों ने इस छूट का नाजायज फायदा उठाया। जिन व्यक्तियों को आवश्यकता नहीं थी वे भी अपने घरों से निकले। ऐसे में लॉक डाउन का फायदा ही पूरा नहीं हो रहा है। राजस्थान सहित 19 राज्यों में 31 मार्च तक लॉक डाउन किया गया है। अब यह जनता का दायित्व है कि लॉक डाउन का पालन करें। जनता यदि लॉक डाउन का पालन नहीं करती है तो फिर संबंधित जिला प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए। जब पुलिस, चिकित्सा, सफाई आदि कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर फर्ज निभा रहे हैं, तब लोगोंका भी दायित्व बनता है। कोरोना वायरस को तभी समाप्त किया जा सकता है, जब लोग अपने घरों में बंद रहे।
महारष्ट्र में अखबार बंद:
कोरोना वायरस की दहशत का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र में अखबार भी बंद हो गए हैं। दर असल अपने स्वास्थ्य की चिंता करते हुए हॉकरों ने अखबार बांटने से ही इंकार कर दिया। चूंकि मुम्बई में लोकल ट्रेने भी बंद हैं, इसलिए अखबार के बंडल भी एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं पहुंच रहे। भले ही अखबार मालिक दावा करें कि अखबार से वायरस नहीं होता, लेकिन महाराष्ट्र के हॉकरों ने अखबार का वितरण करने से साफ इंकार कर दिया। यही वजह रही कि 23 मार्च को महाराष्ट्र के अधिकांश प्रमुख अखबार प्रकाशित ही नहीं हुए। महाराष्ट्र खासकर मुम्बई में हॉकरों की यूनियन मजबूत स्थिति में है। महाराष्ट्र में अब आम लोग अपने घर पर बैठ कर सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों से खबरें प्राप्त कर रहे हैं। लोगों को तत्काल जानकारी उपलब्ध करवाने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। महाराष्ट्र में सोशल मीडिया पर सक्रिय अनेक न्यूज पोर्टल की जबर्दस्त विश्वसनियता है। जो लोग सोशल मीडिया का दुरुपयोग करते हैं उनके विरुद्ध नियमों के तहत कार्यवाही भी होती। लॉक डाउन वाले राज्यों में अखबार के पाठक चिंतित हैं। हालांकि मालिकों का कहना है कि उनकी प्रिंटिंग प्रेस को रोजाना सेनेटाइज किया जाता है तथा कर्मचारियोंका भी ख्याल रखा गया है। कुछ मालिकतो छपे हुए अखबार को भी सेनेटाइज करने का दावा कर रहे हैं।
बैंकों में महिला कर्मियों को अवकाश:
लॉक डाउन वाले राज्योंमें बैंकों ने अनेक सेवाएं स्थगित कर दी। नकदी जमा करवाने वाले को ही बैंक में प्रवेश दिया जा रहा है। चैक भी बाहर से ही एक टोकरी में रखवाए जा रहे हैं। यानि बैंक के कर्मचारी अपने ग्राहकों से नहीं के बराबर सम्पर्क कर रहे हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने तो अपनी महिला कर्मचारियों को अवकाश पर भेज दिया है। उन्हीं ग्राहकों को बैंकों में प्रवेश दिया जा रहा है जिनके खातों में एटीएम की सुविधा नहीं है।
(एस.पी.मित्तल) (23-03-2020)
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