अजमेर में संघ ने प्रशासन के समक्ष सहयोग का प्रस्ताव रखा।
अजमेर में संघ ने प्रशासन के समक्ष सहयोग का प्रस्ताव रखा।
नवसंवत्सर पर स्वयं सेवकों ने संघ प्रमुख को प्रणाम कर घर में ही शाखा लगाई।
अयोध्या में रामलला चांदी के सिहासन पर विराजमान।
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए जरुरतमंद लोगों की मदद करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अजमेर प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव रखा है। संघ के अजमेर महानगर संघ चालक सुनील दत्त जैन ने बताया कि विषम परिस्थितियों में स्वयं सेवक अपने स्तर पर समाज में सेवा का कार्य तो करते ही हैं, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर जिला प्रशासन के समक्ष भी सहयोग का प्रस्ताव किया है। प्रशासन के अधिकारी जिस स्थान पर भी कहेंगे, वहां स्वयं सेवक अपनी सेवाएं देने को तत्पर है। जैन ने कहा कि चूंकि यह महामारी वैश्विक है, इसलिए समाज के सभी लोगों को मिलकर मुकाबला करना होगा।
घर में ही लगाई शाखा:
संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब हिन्दू नव वर्ष के मौके पर प्रमुख चौराहों पर तिलक लगाकर स्वागत की परंपरा नहीं निभाई गई। कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर अजमेर में भी 25 मार्च को कफ्र्यू जैसे हालात रहे। यही वजह रही कि हिन्दूवादी संगठनों ने चौराहों को भी नहीं सजाया। नव वर्ष का उत्सव मनाने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है, लेकिन इस बार स्वयं सेवकों ने घर पर ही अपने परिवार के साथ उत्सव मनाया। संघ के अजमेर के महानगर संघ चालक सुनीलदत्त जैन ने बताया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर संघ ने नव वर्ष को हर घर में शाखा, हर घर में प्रतिपदा उत्सव का लक्ष्य रखा। चूंकि इस दिन संघ प्रमुख को प्रणाम करने की पंरपरा भी है, इसलिए स्वयं सेवकों ने घर पर ही अपने परिवार के बीच शाखा लगाई तथा प्रणाम किया। स्वयं सेवकों ने अपनी अपनी शाखा के फोटो वाट्सएप पर क्षेत्र के नगर कार्यवाह को भी भेजे हैं।
रामलला चांदी के सिंहासन पर विराजमान:
नव वर्ष के अवसर पर अयोध्या में रामलला को अब चांदी के सिंहासन पर विराजमान कर दिया गया है। हालांकि इस अवसर पर पूर्व में लाखों श्रद्धालुओं के जुटने के आव्हान किया गया था, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए भव्य आयोजन को रद्द कर दिया गया। ऐसे में 25 मार्च को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने रामलला की प्रतिमाओं को टेंट से निकाल कर अस्थाई मंदिर में रखा। चूंकि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनना है इसलिए प्रतिमाओं को फिलहाल अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया है। कोई दस किलो चांदी से सिंहासन बनाया गया है।
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