विवाहिता मनीषा ने 20 नवम्बर को केरोसिन छिड़क कर आग लगाई और 22 नवम्बर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दम तोड़ दिया। राजस्थान में अशोक गहलोत की पुलिस 6 दिनों तक सोती रही। यदि आत्महत्या का वीडियो नहीं होता तो पुलिस चुप ही रहती। महिला उत्पीडऩ की इससे बड़ी घटना नहीं हो सकती। आखिर कौन शर्म करेगा?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन झुंझुनूं के गुढ़ागौडज़ी में मनीषा नाम की एक विवाहिता ने जिस तरह स्वयं को आग लगाकर जीवन समाप्त कर लिया, वह बहुत ही दु:खद है। शर्मनाक बात तो यह है कि गहलोत के अधीन काम करने वाली पुलिस 6 दिनों तक सोती रही। क्या ऐसे संवेदनहीन और लापरवाह पुलिस अफसरों पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? मनीषा के भाई पवन पटेल ने बताया कि 20 नवम्बर को उसकी बहन ने केरोसिन डाल कर स्वयं को आग लगा ली। यह कदम पति अनिल कुमार और ससुराल के अन्य सदस्यों से प्रताडि़त होकर उठाया। पहले एसके अस्पताल में इलाज हुआ और फिर मनीषा को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस बीच पुलिस ने मनीषा के कोई बयान दर्ज नहीं किए और 22 नवम्बर को मनीषा की मौत हो गई। 24 नवम्बर को पवन पटेल ने थाने में लिखित शिकायत दी, लेकिन फिर भी आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई। 25 नवम्बर को सोशल मीडिया पर मनीषा का जलता हुआ वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो भी मनीषा के पति अनिल कुमार ने दिया, ताकि यह दिखाया जा सके कि आग खुद मनीषा ने ही लगाई है। गंभीर बात तो यह है कि वीडियो को खुद मनीषा के प्रति अनिल ने अपने मोबाइल से बनाया। इससे अनिल की आवाज भी है जो मनीषा से कह रहा है तेल महंगा है, क्यों खराब कर रही है। यानि जिस पति की जिम्मेदारी पत्नी को बचाने की थी, वह खुद वीडियो बनाता रहा। सवाल उठता है कि जब 20 नवम्बर को मनीषा के जलने की घटना हो गई, तब पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? क्या झुंझुनूं की पुलिस की नजर में एक विवाहिता के जलने की घटना कोई मायने नहीं रखती है? यदि मनीषा का जलते हुए वीडियो देखा जाए तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। सीएम गहलोत के पास ही गृहविभाग भी हैं। क्या एक विवाहिता के सरेआम जलने की घटना पर सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है? यदि किसी महिला को केरोसिन छिड़क कर स्वयं को आग लगानी पड़े तो महिला उत्पीडऩ की इससे बड़ी घटना नहीं हो सकती है। सीएम गहलोत को अब अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए जो 20 नवम्बर से सोते रहे। राजस्थान पुलिस में ऐसे कैसे निर्दयी पुलिस वाले हैं जो एक महिला के जलने की घटना पर भी चुप रहते हैं। शर्मनाक बात यह है कि 26 नवम्बर को मीडिया में खबरें आने के बाद पुलिस ने आरोपियों काके पूछताछ के लिए बुलाया। पुलिस ने इस मामले में जिस तरह लापरवाही बरती है उसके जिए कमसे कम पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। 20 नवम्बर की घटना की जानकारी यदि 25 नवम्बर तक भी पुलिस अधीक्षक को नहीं हो तो ऐसे अधिकारी के दायित्व पर प्रश्न चिन्ह लगता है। उम्मीद है कि महिला उत्पीडऩ की इस दर्दनाक घटना को सीएम अशोक गहलोत गंभीरता से लेंगे।
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