केरल में मंडियां समाप्त करने और पश्चिम बंगाल में 70 लाख किसानों को पीएम किसान निधि की राशि का लाभ नहीं दिलवाने वाले दिल्ली में किसानों को गुमराह कर रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर दोगली राजनीति करने का आरोप लगाया। ऐसे राजनीतिक दल राजस्थान से लेकर कश्मीर तक में पंचायत चुनाव हार चुके हैं।
25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला है। पीएम ने कहा कि जो विपक्षी दल लोकतांत्रिक प्रक्रिय से चुनाव हार कर गए हैं, वे अब किसानों के आंदोलन में अपना वजूद तलाश रहे हैं। नए कृषि कानून को लेकर बेवजह भ्रम की स्थिति की जा रही है। पीएम ने केरल की कम्युनिस्ट सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक ओर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को समर्थन देकर एमएसपी और मंडियों की बात की जा रही है, तो दूसरी ओर केरल की सरकार ने कृषि मंडियों की व्यवस्था ही समाप्त कर दी है। पूरे देश में पश्चिम बंगाल एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां की राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लागू नहीं किया है। यदि बंगाल की सरकार इस योजना को मंजूर कर दे तो 70 लाख किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की राशि मिलने लगेगी। पीएम मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि जो राजनीतिक दल अपने राज्यों में किसानों का गला घोंट रहे हैं, वही दल दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के किसानों को सम्मान निधि योजना का लाभ मिले इसके लिए दबाव क्यों नहीं बनाया जाता। ऐसे दलों के नेता दिल्ली में तो किसान हितैषी बनते हैं, लेकिन बंगाल और केरल में चुप रहते हैं। देश की जनता विपक्षी दलों के दोगले चरित्र को देख और समझ रही है। यदि वजह है कि दिल्ली में कुछ किसानों को छोड़ कर देशभर के किसान कृषि कानूनों के समर्थन में खड़े हैं। पीएम ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा में देश के किसानों को 87 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा मिला। जो विपक्षी दल आज आंदोलन कर रहे हैं, जब वे शासन में थे तब नाम मात्र की एमएसपी पर खरीद होती थे। लेकिन आज एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद हो रही है। एनडीए की सरकार ने लागत का डेढ़ गुना एमएसपी निर्धारित किया। पीएम ने कहा कि विपक्षी दल नए कानून को लेकर बेवजह का भ्रम फैला रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि किसान के साथ कंपनी का जो अनुबंध होगा, वह किसान का पक्षधर है। यदि किसी कारण से फसल खराब हो जाती है, तो संबंधित कंपनी को अनुबंध के मुताबिक किसान को भुगतना करना होगा। यानि कंपनी किसी भी स्थिति में अनुबंध को तोड़ नहीं सकती। लेकिन किसान चाहे तो इस अनुबंध को तोड़ सकता है। स्वभाविक है कि जब कोई कंपनी अनुबंध करेगी तो वह किसान को उन्नत बीज, तकनीक आदि की सुविधा भी उपलब्ध करवाएगी। पीएम ने कहा कि पिछले 70 सालों से कहा जा रहा है कि भारतीय कृषि में विदेशी तकनीक आनी चाहिए। अब जब तकनीक लाने गी व्यवस्था की गई है तो विपक्षी दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-12-2020)
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