कॉलेजों को एमडीएस यूनिवर्सिटी से संबंद्धता नहीं मिलने के कारण हजारों गरीब विद्यार्थी स्कॉलरशिप की राशि से वंचित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी बताएं कि समस्या का समाधान कैसे होगा।

अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के बिगड़े ढर्रे को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी को यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया था। थानवी पहले से ही पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। थानवी की नियुक्ति के बाद उम्मीद जताई गई कि यूनिवर्सिटी की गाड़ी फिर से पटरी पर आएगी। लेकिन उन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ जिनकी वजह से एमडीएस यूनिवर्सिटी की बदनामी हुई थी। मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के गरीब विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप की है। एमडीएस में अजमेर जिले के साथ साथ भीलवाड़ा, नागौर और टोंक के कॉलेज भी आते हैं। सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेना होता है। प्राइवेट कॉलेजों की संबद्धता को लेकर हमेशा अंगुलियां उठती है। पिछले वर्ष तक तो जिन कॉलेजों की संबद्धता नहीं थी, उनके विद्यार्थियों को भी स्कॉलरशिप की राशि मिल रही थी। लेकिन वर्ष 2020-21 के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने प्राइवेट कॉलेजों के लिए यूनिवर्सिटी से संबद्धता अनिवार्य कर दी। यानि जिन प्राइवेट कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से संबद्धता है, उन्हीं कॉलेजों के विद्यार्थी स्कॉलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यही वजह है कि जिन कॉलेजों को संबद्धता नहीं मिली है, उनके हजारों विद्यार्थी स्कॉलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। संबद्धता का मामला यूनिवर्सिटी और कॉलेज के बीच का है। लेकिन इसका खामियाजा गरीब विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। स्कॉलरशिप के आवेदन के लिए पहले अंतिम तिथि 31 दिसम्बर थी, लेकिन सरकार ने अब 28 फरवरी कर दी है, लेकिन विद्यार्थियों के सामने समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। इस संबंध में एमडीएस यूनिवर्सिटी के एकेडमी विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. सूरजराव का कहना है कि संबद्धता के प्रकरणों को प्राथमिकता के साथ निपटाया जा रहा है। जिन कॉलेजों के प्रबंधकों ने निर्धारित फीस जमा करवा दी है, उनके विद्यार्थियों को ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का प्रयास है कि कोई भी विद्यार्थी स्कॉलरशिप से वंचित नहीं रहे। कॉलेज के प्रबंधक अपनी समस्या को लेकर यूनिवर्सिटी में संपर्क कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का अपना प्रयास है लेकिन संबद्धता का मामला पूरी तरह कुलपति से जुड़ा हुआ है। कुलपति की सहमति के बाद ही किसी कॉलेज को संबद्धता दी जा सकती है। कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी की ईमानदारी पर किसी को भी शक नहीं है, लेकिन यह सच है कि थानवी के कार्यकाल में संबद्धता के प्रकरणों का निपटारा नहीं हो रहा है। कॉलेजों की संबद्धता की समस्याओं का समाधान कुलपति ओम थानवी को ही करना है। चूंकि थानवी कार्यवाहक कुलपति है, इसलिए वे अजमेर भी कम आते हैं। थानवी का ज्यादा समय जयपुर में ही गुजरता है। हालांकि यूनिवर्सिटी के स्थाई कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन स्थाई नियुक्ति में अभी समय लगेगा। ऐसे में ओम थानवी को ही एमडीएस यूनिवर्सिटी के काम को गति देनी होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (02-01-2021)

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