तो क्या चीफ जस्टिस बोबड़े भी किसान आंदोलन को लेकर दबाव में हैं? 26 जनवरी को लालकिले पर खालिस्तान का झंडा लहराने वाले को ढाई करोड़ रुपए का ईनाम मिलेगा। दिल्ली के ट्रेक्टर मार्च में अराजकतत्वों की घुसपैठ की आशंका से किसान महासंघ भी चिंतित।

क्या किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े भी दबाव में हैं? यह सवाल जस्टिस बोबडे की टिप्पणी से ही उठा है। 18 जनवरी को आंदोलन के तहत 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाले ट्रेक्टर मार्च पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत के हस्तक्षेप को गलत तरीके से लिया जा रहा है। संभवत: यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समन्वय समिति को लेकर थी। आंदोलनकारी किसानों ने समन्वय समिति को मानने से इंकार कर दिया था। इतना ही नहीं तीन कृषि कानूनों पर रोक के आदेश पर भी आंदोलनकारियों ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। संभवत: दबाव के चलते ही सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रेक्टर मार्च पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। हालांकि सरकार की ओर से वो सब हालात बताए गए जिनमें रोक लगाई जा सकती थी, लेकिन केन्द्र सरकार के सभी आग्रह जस्टिस बोबड़े ने खारिज कर दिए। जस्टिस बोबडे ने यह दिखाने की कोशिश की कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को लेकर उनके मन में कोई नाराजगी नहीं है। जस्टिस बोबड़े चाहते थे कि सुनवाई के दौरान आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। अब देखना है कि 20 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, तब किसानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहते हैं या नहीं?ढाई करोड़ रुपए का इनाम:26 जनवरी को दिल्ली में होने वाले ट्रेक्टर मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस लगातार चिंताएं व्यक्त कर रही है। वहीं अब खालिस्तान समर्थक सिक्ख फॉर जस्टिस की ओर से कहा गया है कि जो व्यक्ति 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर खालिस्तान का झंडा लहराएगा, उसे ढाई करोड़ रुपए का ईनाम दिया जाएगा। दिल्ली की सीमाओं पर गत डेढ़ माह से धरना देकर बैठे किसानों के प्रमुख प्रतिनिधि और राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार कक्कानी ने कहा कि हम ऐसी किसी भी घोषणा का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि जब कोई बड़ा आंदोलन होता है तो माहौल को बिगाडऩे के लिए अराजकतत्व भी सक्रिय हो जाते हैं। हमारा संयुक्त मोर्चा ऐसी घटनाओं को लेकर चिंतित है। कक्कानी ने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में एक लाख से भी ज्यादा ट्रेक्टरों का मार्च होगा। हम चाहते हैं कि यह मार्च शांतिपूर्ण तरीके से हो। किसान आंदोलन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति सरकार के गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम को बिगाडऩा नहीं चाहता है। दिल्ली पुलिस को ट्रेक्टर मार्च निकालने की अनुमति देनी चाहिए। किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं होते। S.P.MITTAL BLOGGER (19-01-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071511

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