26 जनवरी को हिंसा के लिए कांग्रेस अब केन्द्र सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही है। कांग्रेस की ऐसी रणनीति की वजह से ही चुनावों में लगातार हार हो रही है। आखिर कांग्रेस आत्मघाती कदम क्यों उठाती है?
26 जनवरी को दिल्ली में किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्वों की हिंसा के दौरान पुलिस ने जो संयम और धैर्य दिखाया, उसकी अब सब जगह प्रशंसा हो रही है। 400 जवानों ने जख्मी हो जाने के बाद भी पुलिस ने जवाबी कार्यवाही नहीं की, लेकिन अब कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली हिंसा के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार हैं, इसलिए गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। एक राजनीतिक दल होने के नाते कांग्रेस को गृह मंत्री का इस्तीफ़ा मांगने का अधिकार है, लेकिन दिल्ली हिंसा के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना, कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े करता है। सब जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों पर चल रहे किसान आंदोलन को कांग्रेस ने शुरू से ही समर्थन दिया है। 26 जनवरी से पहले ट्रेक्टर मार्च को लेकर केन्द्र सरकार ने कई बार कहा कि मार्च के दौरान अराजकतत्व हिंसा कर सकते हैं, इसलिए दिल्ली की सड़कोंं पर ट्रेक्टरों को नहीं दौड़ाया जाए। तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी मार्च के समर्थन में खड़े हो गए। कहा गया कि मार्च की अनुमति नहीं देकर सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। कांग्रेस को यह भी पता है कि ट्रेक्टार मार्च के लिए जिन मार्गों की अनुमति दी गई, उनका उल्लंघन कर मार्च को प्रतिबंधित मार्गों से निकाला गया, पुलिस को खदेड़ते हुए हजारों ट्रेक्टर और उन पर खास लोग लाल किले तक पहुंच गए। इतना ही नहीं लालकिले पर अपना झंडा भी लगा दिया। हिंसा की निंदा करने के बजाए कांग्रेस अब केन्द्र सरकार पर ही आरोप लगा रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कल्पना करें, कि जब तलवार, फर्से भाले जानलेवा ट्रेक्टर और लाठियों से हमले किए जा रहे तो, तब यदि लाठी या गोली चलाने की छूट दी जाती तो हालात कैसे होते? कांग्रेस कल तक जिन आंदोलनकारियों को अन्नदाता कह रही थी, उन अन्नदाता को कोई नुकसान होता तो कांग्रेस की प्रतिष्ठिता होती? पूरा देश दिल्ली की हिंसा की निंदा कर रहा है और कांग्रेस केन्द्र सरकार की। असल में कांग्रेस की ऐसी रणनीति की वजह से ही चुनावों में लगातार हार हो रही है। लोकसभा के 545 सदस्यों में से कांग्रेस के मात्र 52 सदस्य हैं। खुद राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं। जो रणदीप सुरजेवाला केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं वे खुद दो बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। यानि जो सुरजेवाला विधायक का चुनाव नहीं जीत सकते वो केन्द्रीय गृह मंत्री का इस्तीफ़ा मांग रहे हैं। एक समय था जब राष्ट्रीय मुददें पर अनांद शर्मा, पी चिंदबरम, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता कांग्रेस का पक्ष रखते थे, लेकिन अब सुरजेवाला जैसे नेता रख रहे हैं। सुरजेवाला गांधी परिवार के वफादार है, इसलिए वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर सुरजेवाला को कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना रखा है। सुरजेवाला गांधी परिवार को खुश करने के लिए भले ही अमितशाह से इस्तीफा मांग ले, लेकिन सुरजेवाला को यह भी पता होना चाहिए कि 26 जनवरी को हिंसा के दौरान ही कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि पुलिस की बर्बरता के चलते एक किसान की मौत हो गई है। कांग्रेस का यह ट्वीट किसानों को भड़काने वाला था, क्योंकि एक किसान की मौत तब हुई जब स्टंट कर रहा एक ट्रेक्टर पलट गया और ट्रेक्टर के नीचे दबने से किसान की मौत हुई। राहुल गांधी और सुरजेवाला माने या नहीं, लेकिन किसानों को भड़काने और अराजकतत्वों को संरक्षण देने में कांग्रेस का भी योगदान है। गांधी परिवार का अमित शाह के प्रति गुस्सा वाजिब है, क्योंकि केन्द्रीय गृह मंत्री होने के नाते अमित शाह ने ही गांधी परिवार से एसपीजी की सुरक्षा वापस ली है। सब जानते हैं कि एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए है, लेकिन सत्ता का दुरुपयोग कर कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने एसपीजी की सुरक्षा गांधी परिवार के तीनो सदस्य श्रीमती सोनिया गांधी, श्रीमती प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी को भी दिलवा दी थी। एसपीजी की सुरक्षा वापस होने के कारण श्रीमती प्रियंका वाड्रा को दिल्ली का सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा था। चाहे नेशनल हेराल्ड को सरकारी जमीन का फायदा हो या फिर वाड्रा परिवार की आय से अधिक संपत्ति का मामला। सभी में गांधी परिवार के सदस्य अदालत से जमानत पर है। सवाल उठता है कि क्या किसी आरोपी पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।S.P.MITTAL BLOGGER (28-01-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071511