अजमेर के डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा में फूट होने वाला कांग्रेस का सपना पूरा नहीं हो सका। नीरज जैन को भी 48 के बजाए 57 पार्षदों के वोट मिले। किशनगढ़ में उपसभापति के चुनाव में भी कांग्रेस की लुटिया डूबी। केकड़ी पुलिस मंत्री रघु शर्मा के इशारे पर नाची। मसाणिया भैरवधाम के आशीर्वाद से मेयर बनी हंू-बृजलता हाड़ा।

कांग्रेस को उम्मीद थी कि अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा पार्षदों में फूट होगी, लेकिन परिणाम बताता है कि कांग्रेस का सपना पूरा नहीं हो सका है। निगम के 80 वार्डों में से 48 में भाजपा के पार्षद विजयी हुए, लेकिन डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नीरज जैन को 48 के बजाए 57 पार्षदों के वोट मिले। कांग्रेस के उम्मीदवार बनवारी लाल शर्मा को 22 वोट मिले। हालांकि मेयर के चुनाव में भाजपा को 61 वोट मिले थे, चूंकि भाजपा में डिप्टी मेयर के पद को लेकर कई दावेदार थे, इसीलिए कांग्रेस को फूट की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा उम्मीदवार नीरज जैन को अपनी पार्टी के साथ साथ निर्दलीय पार्षदों का भी समर्थन मिला। नीरज जैन की उम्मीदवारी पर माना गया कि भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल में भी खींचतान है, लेकिन 57 वोटों की संख्या बताती है कि दोनों ही विधायकों ने जैन को जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डिप्टी मेयर पद के प्रबल दावेदार ज्ञान सारस्वत ने भी पार्टी का फैसला स्वीकार किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि उम्मीदवारी हासिल करने के लिए जैन ने पूरी ताकत लगा दी। जैन की उम्मीदवारी में भी प्रदेश के एक वरिष्ठ पत्रकार की भी भूमिका रही है। जैन पूर्व में भाजयूमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं और सतीश पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद जैन प्रदेश की राजनीति में ज्यादा सक्रिय रहे।

किशनगढ़ में भी लुटिया डूबी:

अजमेर जिले की किशगनढ़ नगर परिषद के उपसभापति के चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। 60 पार्षदों में से भाजपा के 34 पार्षद हैं, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार मनोज तारानी को 41 पार्षदों के वोट मिले, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील अजमेरा को 19 वोट मिले। यह तब हुआ, जब सभा पति के चुनाव में भाजपा को 36 तथा कांग्रेस को 24 मत मिले। यानि भाजपा ने उपसभापति के चुनाव में अपनी बढ़त को और बढ़ाया, जबकि कांग्रेस ने घटाया। अजमेर की तरह किशनगढ़ में भी कांग्रेस कई गुटों में विभाजित है। भाजपा की बढ़त को बढ़ाने में भाजपा के चुनाव समन्वयक बीपी सारस्वत का विशेष योगदान रहा है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने किशनगढ़ की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए सारस्वत को खासतौर से नियुक्त किया था। सारस्वत ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। किशनगढ़ अजमेर के भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी का गृह क्षेत्र हैं। किशनगढ़ में निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ने प्रगति मंच बना कर नगर परिषद का चुनाव लड़ा था, लेकिन टाक के मंच के मात्र 6 उम्मीदवार ही पार्षद बन पाए। बिजयनगर नगर पालिका में अपना उपाध्यक्ष चुनवाने के लिए भाजपा ने निर्दलीय पार्षद प्रवीण बडोला को उम्मीदवार बनाया। बडौला को 35 में से 19 पार्षदों के वोट मिल गए। जबकि अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा को 18 वोट ही मिले थे। अब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर भाजपा का कब्जा है। बिजयनगर में भाजपा को बोर्ड बनवाने में भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

मंत्री के इशारे पर नाची केकड़ी पुलिस:

हालांकि केकड़ी नगर पालिका में कांग्रेस की संपत देवी झारोटिया उपाध्यक्ष बन गई है, लेकिन केकड़ी में कांग्रेस के पार्षदों के बीच भी फूट नजर आई। कांग्रेस के पार्षद जुबीन खान का आरोप रहा कि क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के इशारे पर पुलिस ने नामांकन दाखिल नहीं करने दिया। मेरी कार के दस्तावेज़ों की जांच के बहाने पुलिस ने मुझे निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पहुंचने नहीं दिया। इससे पहले भाजपा ने भी आरोप लगाया था कि केकड़ी पुलिस मंत्री के दबाव में भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताडि़त कर रही है। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा ने आरोप लगाया कि राज काज में बाधा डालने के आरोप में पुलिस ने 16 भाजपा कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस ने यह मुकदमा रघु शर्मा के अधीन आने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की रिपोर्ट पर किया। पूरे चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी रही। केकड़ी में भय का वातावरण बनाने में रघु शर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन इसके बाद भी रघु शर्मा 40 में से 21 वार्डों में ही कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीता पाए। भय के वातावरण के बावजूद केकड़ी में भाजपा के 17 पार्षद विजयी हुई। यहां दो निर्दलीय पार्षद भी जीते हैं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को वोट ज्यादा मिले हैं।

भैरो नाथ के आशीर्वाद से मेयर बनी:

अजमेर की नवनिर्वाचित मेयर श्रीमती बृजलता हाड़ा ने कहा कि वे राजगढ़ स्थित मसाणिया भैरो नाथ के आशीर्वाद से मेयर बनी हैं। भाजपा के सभी पार्षद 31 जनवरी को मतगणना के बाद से ही जयुपर स्थित रिसोर्ट में कैद थे। 8 फरवरी को डिप्टी मेयर के चुनाव संपन्न हो जाने के बाद पार्षदों को अपने घर जाने की अनुमति मिली। श्रीमती हाड़ा सबसे पहले निकटवर्ती राजगढ़ धाम स्थित मसाणिया भैरव नाथ के दरबार में पहुंची। यहां उन्होंने धाम के उपासक चंपा लाल महाराज से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर श्रीमती हाड़ा ने बताया कि जब वे पार्षद भी नहीं चुनी गई थी, तब चंपा लाल महाराज ने उन्हें मेयर बनने का आशीर्वाद दिया था। मसाणिया भैरव नाथ के आशीर्वाद से ही मैं मेयर बनी हंू। अब मैं चाहती हंू कि इस आशीर्वाद से मेयर पद का कार्य सफलता पूर्वक कर सकू। इस मौके पर उपासक चंपा लाल महाराज ने कहा भैरवधाम में जो भी व्यक्ति सच्चे मन से मनोकामना करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। नवनिर्वाचित मेयर हाड़ा के साथ उनके पति डॉ. प्रियशील हाड़ा, पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत, पूर्व डिप्टी मेयर संपत सांखला, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेश सिंह शेखावत आदि उपस्थित रहे। यहां यह उल्लेखनीय है कि निवर्तमान मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने भी मेयर बनने का श्रेय भैरोनाथ के आशीर्वाद को ही दिया था। श्रीमती हाड़ा ने अभी मेयर का पद विधिवत तौर पर ग्रहण नहीं किया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-02-2021)

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