लद्दाख सीमा पर चीन की सेना का पीछे हटना भारत की बहुत बड़ी जीत है। पैंगोंग झील पर चीन के कब्ज़े को लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया था।

10 फरवरी को चीन के रक्षा प्रवक्ता बूू कियान ने कहा कि लद्दाख सीमा पर पैगोंग झील पर से चीनी सेना पीछे हटना शुरू हो गई है। 11 फरवरी को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा कि पैगोंग झील से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने पर सहमति बन गई है। अब पैगोंग झील के दक्षिण और उत्तर किनारे पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल होगी। यानि चीन को फिंगर 8 से पीछे जाना होगा और भारतीय सेना को भी फिंगर तीन से पीछे हटना होगा। चीन के सैन्य इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा जब किसी जमीन को कब्जाने के बाद पीछे हटना पड़ा है। असल में चीन को यह आभास नहीं था कि लद्दाख सीमा पर बनी पैगोंग झील पर जब वह कब्जा करेगा तो भारत इतना कड़ा जवाब देगा। चीन तो भारत की सेना को 1962 वाली सेना ही समझता रहा। यह सही है कि पैगोंग झील पर अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए हमारे 20 जवानों को शाहदत देनी पड़ी, लेकिन हमारी इस शाहदत की कीमत हमारे जवानों ने चीन पर हमला कर वसूली। जो पैगोंग झील सैन्य युक्त मानी जाती थी, उस पर भारतीय सेना भी काबिज हो गई। चीन ने बहुत कोशिश की कि भारतीय सेना फिंगर तीन से पीछे चली जाए, लेकिन इसे हमारे जवानों की दिलेरी ही कहा जाएगा कि चीन के सामने सीना तान कर खड़े हो गए। चीन के साथ जब राजनयिक और सैन्य स्तर पर वार्ताएं हो रही थी, तभी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पैगोंग झील पर चीन की कार्यवाही का मुद्दा उठाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया। राहुल का बार बार कहना रहा कि चीन ने हमारी भूमि पर कब्जा किया है उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कब मुक्त करवाएंगे। हालांकि भारतीय सेना ने यह कभी नहीं स्वीकार कि चीन ने हमारी भूमि पर कब्जा किया है, लेकिन राहुल गांधी के बयानों से भारतीय सेना को भी परेशानी हुई। सब जानते हैं कि चीन में तानाशाही है और वहां कोई भी राजनेता या चीनी नागरिक राहुल गांधी की तरह बयान नहीं दे सकता। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जो कहेंगे वो ही माना जाएगा। चीन में किसी को भी बोलने की आजादी नहीं है। लेकिन भारत में पैगोंग झील को लेकर विपक्षी दलों ने जिस प्रकार बयानबाज़ी की उसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। इसे भारत की बहुत बड़ी जीत ही माना जाएगा कि चीन जैसा शक्तिशाली देश को पीछे हटना पड़ा है। चीन को पीछे ढकलने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। राहुल गांधी जैसा नेता जब पैगोंग झील पर चीन के कब्जे की बात करते हैं, तब उन्हें झील की स्थिति का भी ख्याल रखना चाहिए। सैन्य रहित झील की भूमि पर घुसने की पहल चीन ने की। चीन की सेना विश्वासघात कर फिंगर आठ तक आ गई। चीन की सेना को हटाने के लिए सैन्य और कूटनीति का सहारा लिया गया और अब चीनी सेना पीछे हट रही है। अब देश की विपक्षी पार्टियों के नेता श्रेय दे या नहीं, लेकिन दुनियाभर में भारत की ताकत का ढंका बज रहा है। भारत ने जता दिया कि वह चीन जैसे शक्तिशाली देश को भी पीछे ढकेलने की ताकत रखता है। इससे पाकिस्तान को भी सबक ले लेना चाहिए। जब हम चीन की सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर सकते हैं, तब पाकिस्तान की सेना की तो बिसात ही क्या है? चीन के मामले में भी भारत ने पूर्व की स्थिति को बहाल करवाया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (11-02-2021)

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