कृषि कानून किसान के लिए विकल्प है। किसान अनुबंध किए बगैर पुराने परंपरागत तरीके से खेती करने के लिए स्वतंत्र हैं-पीएम मोदी। कांग्रेस की सरकार बनने पर तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाएगा-प्रियंका गांधी वाड्रा। तो फिर देश में क्यों हो रहा है किसान आंदोलन? 18 फरवरी को देशभर में ट्रेनें भी रोकी जाएंगी।

10 फरवरी को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी बात रखी। लेकिन मोदी का सारा फोकस दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो ढाई माह से चल रहे किसान आंदोलन पर रहा। किसान जिन तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, उसके संबंध में मोदी का कहना रहा कि ये कानून किसी किसान के लिए मानना अनिवार्य नहीं है। ये कानून किसान के सामने विकल्प हैं। यदि कोई किसान पुराने परंपरागत तरीकों से खेती करना चाहता है तो वह स्वतंत्र हैं। इसी प्रकार 10 फरवरी को ही कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी में एक किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि यदि देश में कांग्रेस की सरकार बनने पर तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए जाएंगे। जो लोग दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें पीएम मोदी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बयानों का महत्व समझना चाहिए। यदि इन नेताओं का बयान समझ लिया जाए तो फिर देश में किसानों के आंदोलन की कोई जरुरत नहीं है। जब कानून अनिवार्य नहीं है तो फिर किसानों का अहित कैसे होगा? जब कोई किसान अडानी-अंबानी जैसे कारोबारियों से अनुबंध ही नहीं करेगा तो उसकी सफल का सौदा कैसे होगा? किसान पुराने परंपरागत तरीके से खेती करने और फिर सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)पर मंडी में फसल बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। जो किसान स्वैच्छा से कानून के अंतर्गत अनुबंध करना चाहता है वह ही संबंधित कारोबारी की सेवाएं ले सकता है। प्रधानमंत्री की इतनी स्पष्टता के बाद देश में आंदोलन की जरुरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने विनम्रता के साथ किसानों से पूछा है कि नए क़ानूनों से किसानों का कौन सा हक छीना है, वह बताया जाए। प्रियंका गांधी ने यूपी में जो बात कही उसे भी सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए। प्रियंका वाड्रा ने बिल्कुल सही कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर क़ानूनों को रद्द कर दिया जाएगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यही तरीका है। चूंकि अभी केन्द्र में भाजपा की सरकार है और इस सरकार ने अपनी समझ से कानून बनाया है, लेकिन यदि यह कानून खराब और किसान विरोधी होंगे तो देश की जनता नरेन्द्र मोदी की भाजपा को हरा कर प्रियंका गांधी की कांग्रेस सरकार ले आएंगे। देश में हर पांच साल में चुनाव होते हैं। कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रियंका वाड्रा को पूरा हक होगा कि वे मोदी के बनाए कानूनों को रद्द कर दें। प्रियंका के बयान के बाद भी सवाल उठता है कि तो फिर किसान आंदोलन की जरुरत क्या है? मोदी का कानून विकल्प है और इस विकल्प वाले कानून को कांग्रेस की सरकार रद्द कर देगी तो फिर किसान का अहित कैसे हो जाएगा? जो किसान आंदोलन कर रहे हैं वो इन बयानों को समझे। प्रधानमंत्री ने भी माना है कि किसानों का आंदोलन पवित्र है, लेकिन आंदोलनजीवी इसे अपवित्र कर रहे हैं। किसानों को अपने आंदोलन से उन चेहरों को अलग करना होगा जो अपने स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। आंदोलनों पर अपना वजूद बनाए रखने वाले चेहरे यदि किसानों से अलग हो जाएं तो दिल्ली की सीमाओं पर बैठे भोले किसानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा की बात जल्द समझ में आ जाएगी। फिर न लालकिले पर हुड़दंग करना पड़ेगा और न ट्रेने रोकनी पड़ेगी। 18 फरवरी को जब दोपहर 12 से 4 बजे तक ट्रेनें रोकी जाएंगी तो लोगों की परेशानी का अंदाजा लगाना चाहिए। कोई बीमार अपने इलाज के लिए तो कोई बेरोजगार नौकरी के इंटरव्यू के लिए ट्रेन में सफर कर रहा होगा। कौन चाहेगा कि इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ दें और इंटरव्यू नहीं देने पर युवा बेरोजगार ही रहे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (11-02-2021)

Website- www.spmittal.in

Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog

Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11

Blog- spmittal.blogspot.com

To Add in WhatsApp Group- 9509707595

To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...