प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अजमेर में ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश। भारत की आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक बताया ख्वाजा साहब को। दरगाह से जुड़ी संस्थाओं ने प्रधानमंत्री की पहल का स्वागत किया। पीएम के तौर पर सातवीं बार चादर चढ़ाई है नरेन्द्र मोदी ने। जायरीन की भीड़ में दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान ने मास्क नहीं लगाया। शौचालय की भूमि से व्यावसायिक उपयोग की आशंका।
16 फरवरी को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से सुनहरे रंग की चादर पेश की गई। अजमेर में इन दिनों ख्वाजा साहब का 809वां उर्स भर रहा है। दरगाह में जायरीन की जबर्दस्त भीड़ के बीच केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सूफी परंपरा के अनुरूप चादर को मजार पर पेश किया। इस अवसर पर अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी भी उपस्थित रहे। दरगाह से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के पदाधिकारियों ने पीएम की पहल की प्रशंसा की। खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के अध्यक्ष मोइन सरकार और अंजुमन शेख जादगान के एहतेशाम चिश्ती, दरगाह कमेटी के नाज़िम अशफाक हुसैन, दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती आदि भी मौजूद रहे। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर उर्स में लगातार सातवीं बार चादर भेजी है। उर्स के दौरान देश के प्रधानमंत्री की ओर से चादर पेश करने की परंपरा चली आ रही है।
आध्यात्मिक परंपराओं के प्रतीक:
दरगाह में मजार शरीफ पर चादर पेश करने के बाद केन्द्रीय मंत्री नकवी ने दरगाह के मुख्य द्वार पर खड़े होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश पढ़कर सुनाया। मोदी ने अपने संदेश में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 809वें उर्स के उपलक्ष्य पर दुनिया भर में उनके अनुयायियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। संदेश में कहा कि यह वार्षिक उत्सव कौमी एकता और भाईचारे की खूबसूरत मिसाल है। विभिन्न धर्मो, संप्रदायों और उनसे जुड़ी मान्यताओं और आस्थाओं का सद्भावपूर्ण सह अस्तित्व विविधता से भरे हमारे देश की अद्भुत धरोहर है। इस धरोहर को सहेजने और मजबूत बनाने में देश के विभिन्न साधु संतों, पीर व फकीरों का बहुमूल्य योगदान रहा है। शांति और समरसता के उनके शाश्वत संदेश ने हमारी सामाजिक सांस्कृतिक विरासत को सदैव समृद्ध किया है। अपने सूफी विचारों से समाज में अमिट छाप छोडऩे वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हमारी महान आध्यात्मिक परंपराओं के आदर्श प्रतीक है। प्रेम, एकता, सेवा और सौहार्द्र की भावना को बढ़ावा देते गरीबनवाज के मूल्य और विचार मानवता को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वार्षिक उर्स पर दरगाह अजमेर शरीफ पर चादर भेजते हुए मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हंू और देशवासियों के सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता हंू।
अमीन पठान ने नहीं लगाया मास्क:
पीएम मोदी की ओर से जब केन्द्रीय मंत्री नकवी ने दरगाह में चादर पेश की तब दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान भी मौजूद रहे। लेकिन पठान ने जायरीन की भीड़ के बीच में अपने मुंह पर मास्क नहीं लगाया। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकार ने उर्स में भाग लेने वाले जायरीन के लिए गाइड लाइन जारी की है। इस गाइड लाइन की पालना करवाने की ज़िम्मेदारी दरगाह कमेटी की है। गाइड लाइन के अनुसार दरगाह में प्रवेश करने वाले जायरीन को अनिवार्य तौर पर मास्क लगाना होगा। लेकिन 16 फरवरी को स्वयं दरगाह कमेटी के अध्यक्ष ने मास्क नहीं लगाया इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जायरीन किस तरह गाइड लाइन की पालना कर रहे होंगे। जायरीन की भीड़ के बीच मास्क लगाकर कमेटी के अध्यक्ष जायरीन को संदेश दे सकते थे, लेकिन खुद अमीन पठान ने गाइड लाइन का उल्लंघन खुलेआम किया। वहीं सूफी मिशन सोसायटी की नफिस मियां चिश्ती, अब्दुल नईम खान, काजी मुनव्वर अली, हाजी सरवर सिद्दीकी आदि ने एक बयान जारी कर कहा कि 16 फरवरी को केन्द्रीय मंत्री नकवी ने दरगाह के निकट जिन शौचालयों का उदघाटन किया है उसकी भूमि की व्यावसायिक उपयोग की आशंका बनी हुई है। दरगाह कमेटी ने नगर निगम से जो नक्शा स्वीकृत करवाया है, उसमें भूतल पर वेटिंग हॉल दर्शाया गया है, लेकिन मौके पर शटर लगा दिए गए हैं। इससे प्रतीत होता है कि भूतल का उपयोग दुकानों के रूप में किया जाएगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-02-2021)
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