राहुल गांधी के किसान सम्मेलनों के बाद भी जारी हैं सचिन पायलट की किसान महापंचायतें। 19 फरवरी को चाकसू में होने वाली महापंायत को सफल बनाने में जुटे हुए हैं पायलट समर्थक। राहुल गांधी के दौरे में हुई थी उपेक्षा।

तीन कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी गत 12 व 13 फरवरी को राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, अजमेर और नागौर में किसान सम्मेलन कर चुके हैं, लेकिन प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की किसान महापंचायतों का दौर जारी है। 19 फरवरी को पायलट की महापंचायत जयपुर के चाकसू में होगी। चाकसू की महापंचायत को सफल बनाने के लिए पायलट समर्थक जुटे हुए हैं। पायलट ऐसी महापंचायतें 5 फरवरी को दौसा तथा 9 फरवरी को भरतपुर के बयाना में कर चुके हैं। इन महापंचायतों को पायलट के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसी महापंचायतें पायलट की ओर से प्रदेश के सभी 33 जिलों में होनी हैं। राहुल गांधी के किसान सम्मेलनों को सफल बनाने में जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में पूरी सरकार जुटी हुई थी, वहीं किसान महापंचायतें पायलट अपने दम पर कर रहे हैं। इन महापंचायतों में ग्रामीण वर्ग के लोग बड़ी संख्या में अपने साधनों से भाग ले रहे हैं। 19 फरवरी को चाकसू में होने वाली महापंचायत में भी जबर्दस्त भीड़ की उम्मीद जताई जा रही है। राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुट की ओर से चाहे जितने दावे किए जाएं, लेकिन पायलट के साथ जुुलाई 2020 में जो 18 विधायक एक माह दिल्ली गए थे, उनमें से अधिकांश अभी भी पायलट से जुड़े हुए हैं। जिस क्षेत्र में महापंचायत होती है, उस क्षेत्र के पायलट समर्थक विधायक भी उपस्थित रहते हैं। पायलट समर्थकों का मानना है कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद कई विधायक पायलट के खेमे में आ जाएंगे। इनमें निर्दलीय विधायक भी शामिल हो सकते हैं। इस स्थिति को भांपते हुए ही सीएम गहलोत द्वारा मंत्रिमंडल का विस्तार लगातार टाला जा रहा है। मंत्रिमंडल की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीएम गहलोत के पास 20 से भी ज्यदा विभाग हो गए हैं। इनमें गृह और वित्त जैसे प्रमुख महकमे भी हैं। सचिन पायलट विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा की बर्ख़ास्तगी के बाद इन तीनों के विभाग भी सीएम के पास ही हैं। सब जानते हैं कि राहुल गांधी के दौरे में सार्वजनिक तौर पर पायलट की उपेक्षा की गई। जिन पायलट को प्रदेश में दोबारा से कांग्रेस को सत्ता में लाने का श्रेय दिया जाता है, उन पायलट को राहुल की कई सभाओं में बोलने तक नहीं दिया गया। अजमेर के रूपनगढ़ की ट्रेक्टर रैली के मंच से तो पायलट को नीचे उतार दिया गया। किशनगढ़ एयरपोर्ट पर पायलट को नेताओं की लाइन में लग कर राहुल गांधी से मिलना पड़ा। स्वयं राहुल गांधी ने पायलट को कोई तवज्जों नहीं दी। राहुल दौरे में सीएम गहलोत ही पूरी तरह हावी रहे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-02-2021)

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